उत्तराखंड में मुख्य सचिव के पद पर एसएस संधु की तैनाती के बाद अब राज्य की ब्यूरोक्रेसी में बड़ी हलचल शुरु हो गई है। माना जा रहा है कि अब कई बड़े और चर्चित अफसरों के ‘पर’ कतरे जाएंगे। हिसाब किताब होगा और मनमानी की छूट नहीं मिलेगी।
वैसे इस हलचल की पृष्ठभूमि तैयार करने का श्रेय नए नवेले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जाता है। पुष्कर सिंह धामी ने कुर्सी संभालने के चौबीस घंटे बीतने से पहले सूबे के उस IAS पर हाथ डाल दिया जिसकी कुर्सी हिलाने का सौभाग्य बड़े बड़े मुख्यमंत्रियों को नहीं मिल पाया। पिछले कई सालों से अंगद की मानिंद अपने पांव जमा कर बैठे ओमप्रकाश की कुर्सी को न तो हरीश रावत हिला पाए और न तीरथ। फिर त्रिवेंद्र के तो वो चहेते ही थे लिहाजा ऐसा कोई सवाल ही नहीं उठता था।
त्रिवेंद्र के सबसे करीबी अफसर रहे ओमप्रकाश धीरे धीरे राज्य की ब्यूरोक्रेसी के मुखिया भी बने और सबसे ताकतवर अफसर भी। दिलचस्प ये रहा कि पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण की व्यवस्थाएं देखने वाले ओमप्रकाश को भनक भी नहीं रही होगी कि अगले चौबीस घंटे पूरे होने से पहले उनकी मुख्य सचिव की कुर्सी जाने वाली है।
फिलहाल सत्ता में बदलाव के साथ अफसरों के विभागों में फेरबदल कोई नई बात नहीं है। लेकिन सीधे मुखिया को बदलना और वो ऐसे मुखिया को इसे नए सीएम का बड़ा कदम माना जा सकता है।
अब राज्य के मुख्य सचिव एसएस संधु होंगे और जानकार बताते हैं कि संधु बेहद सख्त मिजाज के अफसर हैं। ऐसे में ओमप्रकाश के कार्यकाल में ‘कंफर्ट जोन’ में काम कर रहे कई अफसरों को अपनी आराम तलबी छोड़नी पड़ सकती है। हलचल की एक बड़ी वजह इन अधिकारियों में विभागों में फेरबदल की आशंका भी। अब देखना ये होगा कि एसएस संधु नए सीएम एसएस संधु की उम्मीदों के साथ ही जनता के लिए क्या अफसरशाही को जवाबदेह बना पाते हैं।