National : RAM MANDIR को स्टील या लोहे से क्यों नहीं बनाया गया? केवल पत्थर ही क्यों चुना? - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

RAM MANDIR को स्टील या लोहे से क्यों नहीं बनाया गया? केवल पत्थर ही क्यों चुना?

Renu Upreti
3 Min Read
RAM MANDIR
RAM MANDIR

अयोध्या में 22 जनवरी को RAM MANDIR की प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन होने वाला है। सालों से इंतजार कर रहे भगवान राम के भक्तों का अब जाकर इंतजार खत्म होगा। सालों से पंडाल में रहन वाले भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी। वे दशकों बाद गर्भ गृह में विराजमान होंगे। हर तरफ राम मंदिर की चर्चा हो रही है। आइये जानते हैं मंदिर को बनाने में क्या इस्तेमाल किया गया है।

तीन तल का बनेगा RAM MANDIR

बताया जा रहा है कि मंदिर तीन तल का बनेगा। फिलहाल प्रथम तल तैयार हो चुका है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंदिर का काम चालू होगा। राम मंदिर का निर्माण काफी खास तरीके से किया जा रहा । मंदिर देखने में काफी आकर्षक होगा। दरअसल, राम मंदिर के निर्माण में लोहे या स्टील का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। हालांकि मंदिर की लंबाई 380, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट होगी फिर भी इसे सिर्फ पत्थर से बनाया गया है। आइये जानते हैं ऐसा करने के पीछे का कारण।

नागर शैली में किया गया RAM MANDIR का निर्माण

दरअसल, मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है। इसकी पुष्टि श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने की है। असल में लोहे का इस्तेमान ना करने से मंदिर एक हजार सालों तक ऐसा ही रहेगा। वहीं इसकी मरम्मत भी नहीं करनी होगी। इसे बनाने में सीमेंट, कंक्रीट और लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। जब इमारतें बनाई जाती है तो लोहे की छड़, सीमेंट और कंक्रीट का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि राम मंदिर में नींव भी आर्टिफिशियल रॉक से बनाई गई है। जो बाद में चट्टान बन जाएगी।

लोहे का इस्तेमाल नहीं करन का कारण

राम मंदिर में लोहे का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया गया ताकि मंदिर की आयु लंबी हो। क्योंकि बताया जा रहा है कि अगर मंदिर में सरिया लगाया जाता है तो इसकी आयु कम होगी। इसी के साथ बार-बार मंदिर की मरम्मत करानी पड़ेगी। दरअसल, लोहे में जंग लग जाता है। जंग लगने के कारण मंदिर की नींव कमजोर हो जाती है और इसकी आयु घट जाती है। लोहे की रॉड के कारण मंदिर एक हजारों सालों तक नहीं टिक पाता। असल में पहले के समय में इमारतें लोहे की बनती थी। इसी कारण हम कई सालों पुरानी इमारतें देख पाते हैं। इसी तरह राम मंदिर को भी आने वाली पीढ़ी कई सालों तक देख पाएगी।  

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