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Wayanad: क्यों हुआ वायनाड में भूस्खलन? तबाही की बड़ी वजह क्या रही? जानें यहां

Renu Upreti
4 Min Read
Why did landslide occur in Wayanad?

केरल में भारी बारिश कहर बन गई है। Wayanad जिले में मेप्पाडी के पास पहाड़ी इलाकों में मंगलवार सुबह हुए भीषण भूस्खलन के बाद अब तक 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग घायल बताए जा रहे हैं। इस बीच कई लोगों के मन में सवाल है कि केरल के वायनाड जैसे हरे-भरे इलाके में भूस्खलन जैसी आपदा कैसी आ गई। आइये जानते हैं।

दरअसल, यहां का इको सिस्टम काफी नाजुक है। इसलिए प्रशासन ने इसे इको-सेंसिटिव एरिया टैग भी दिया है। हरा -भरा स्वर्ग कहे जाने वाला वायनाड, पश्चिमी घाट के पहाड़ों के बीच बसा है। वेस्टर्न घाट, भारत के पश्चिमी तट पर स्थित पर्वत श्रृखंला है। यह छह राज्यों से गुजरती है। केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु। इसकी कुल लंबाई तकरीबन 1600 किमी है। इसकी कुल लंबाई का लगभग 40%  हिस्सा केरल में पड़ता है।

क्या होता है इको सिस्टम एरिया?

वेस्टर्न घाट में नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ सेंचुरी समेत कुल 39 संपत्तियां आती हैं। जो विश्व धरोहर स्थलों के रुप में नामित है। इनमें से अकेले केरल में 20 संपत्ति हैं। ESA का टैग इन नाजुक इको-सिस्टम को बचाने का तरीका है। इको-सिस्टम एरिया संरक्षित, नेशनल पार्क और वाइल्डलाइफ सेंचुरी के आसपास का करीब 10 किलोमीटर होता है। ESA वाले इलाके में अंधाधुंध इंडस्ट्रियलाइजेशन, माइनिंग और अनियमित विकास पर कड़ी नजर रहती है।

बता दें कि प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर केरल अपनी जियोग्राफी की वजह से प्राकृतिक आपदा का शिकार बनता है। केरल सरकार की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार समुद्री तट और पश्चिमी घाट की ढलानों के करीब होने की वजह से राज्य प्राकृतिक आपदाओं के मामले में काफी संवेदनशील है।

वहीं समुद्री तट के पास होने से यहां बाढ़ सबसे आम प्राकृतिक खतरा है। रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 14 फीसदी हिस्से में बाढ़ आने का खतरा ज्यादा है। कुछ इलाकों में यह आकंड़ा 50 फीसदी तक है। राज्य को चक्रवाती तूफान से भी खतरा है। यहां बिजली गिरने की भी बड़ी मात्रा में घटनाएं दर्ज की गई हैं। खासतौर पर अप्रैल, मई, अक्टूबर के महीनों में।

केरल में भूस्खलन की सबसे बड़ी वजह

वहीं केरल में भूस्खलन की सबसे बड़ी वजह उसका वेस्टर्न घाट के नजदीक होना है। वायनाड में हुए लैंडस्लाइड की वजह भी यही बताई जा रही है। एक आंकड़े के मुताबिक, पश्चिमी घाट का 1500 स्क्वायर किमोमीटर एरिया पर भूस्खलन एक बड़ा खतरा रहता है. इसमें वायनाड समेत कोझिकोड, इडुक्की और कोट्टायम जिले शामिल हैं. पश्चिम घाटों में लगभग 8% क्षेत्र की पहचान भूस्खलन से खतरों के रूप में हुई है।

पश्चिमी घाट में तीव्र ढलान है और मानसून के मौसम के दौरान भारी बारिश होने से मिट्टी सेचुरेट हो जाती है। सेचुरेट मिट्टी वह होती है जो और ज्यादा लिक्विड को एब्जॉर्ज नहीं कर सकती। इसलिए बारिश के मौसम में लैंडस्लाइड के मामले और बढ़ जाते हैं।

केरल में भूस्खलन होने के भी तमाम फैक्टर

केरल में भूस्खलन होने के भी तमाम फैक्टर हैं। स्लोप फेलर (जब मिट्टी, चट्टान और मलबा किसी ढलान से अचानक विनाशकारी तरीके से नीचे की ओर गिरता है), भारी बारिश, मिट्टी की गहराई, भूकंप, बिजली की कड़कड़ाहट और इंसानी गतिविधियां। इन मैन मेड फैक्टर्स में ढलान के सिरे पर खुदाई, जंगलों की कटाई और खनन शामिल है। हालांकि, भूस्खलन का ट्रिगरिंग फैक्टर बरसात बताई जाती है। 

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