प्रयागराज में अगले साल होने जा रहे महाकुंभ के आयोजन से पहले साधु-संतों के एक समूह ने शाही स्नान का नाम बदलने की मांग की है। साधु संतों की मांग है कि शाही स्नान का नाम बदलकर सनातन धर्म से संबंधित कोई नाम रखा जाए। बता दें कि शाही स्नान का मतलब संगम में साधुओं और भक्तों का स्नान होता है। जिसके बाद भव्य परेड निकाली जाती है। भक्तों का मानना है कि इससे पुराने सभी पाप धुल जाते हैं। जन्म मृत्यु के चक्र से मोक्ष और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
मुगलों के काल में आया शाही स्नान नाम
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि प्रयागराज में अखाड़ा परिषद की अगली बैठक के दौरान नाम बदलने की मांग पर विचार किया जाएगा। रवींद्र पुरी ने कहा कि यह स्नान सदियों से चले आ रहे हैं, लेकिन हम सभी जानते हैं कि मुगलों के काल में इन्हें शाही स्नान नाम दिया गया था। इसलिए संतों का मानना है कि अब समय आ गया है कि इसे दिव्य, अमृत जैसे सनातन नामों से बदल दिया जाए। उन्होनें कहा कि अखाड़ा परिषद की अगली बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी।
जनवरी 2025 में होगा महाकुंभ
बता दें कि तीन माह तक चलने वाले महाकुंभ मेले को जनवरी 2025 में शुरु किया जाएगा। महाकुंभ में 40 लाख से ज्यादा भक्तों के आने की उम्मीद है। कुल मिलाकर पांच शाही स्नान होंगे। जो इस प्रकार हैं- 14 जनवरी (मकर सक्रांति), 29 जनवरी (मौन अमावस्या), 3 फरवरी (बसंत पचंमी), 12 फरवरी (माघी पूर्णिमा) और आखिरी 26 फरवरी महाशिवरात्रि) को।