देश भर में ईद उल अजहा का त्योहार 17 जून को मनाया जाएगा। विभिन्न मुस्लिम धर्म गुरुओं ने मीडिया रिपोर्ट में त्योहार की जानकारी दी है। चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम ने मीडिया रिपोर्ट में बताया कि ईद उल फित्र के विपरीत बकरीद का त्योहार चांद दिखने के 10 वें दिन मनाया जाता है। इस्लामी कैलेंडर में 29 या 30 दिन होते हैं जो चांद दिखने पर निर्भर करते हैं। ईद उल जुहा या अजहा या बकरीद, ईद उल फित्र के दो महीने नौ दिन बाद मनाई जाती है।
वही मुस्लिम संगठन इमारत-ए शरिया हिंद ने जानकारी दी कि 8 जून को इस्लामी कैलेंडर के आखिरी महीने जिल हिज्जा 1445 की पहली तारीख है और ईद उल जुहा 17 जून बरोज सोमवार को होगी। जमीयत उलेमा-ए-हिंद से जुड़े संगठन ने एक बयान में बताया कि गुजरात समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में बकरीद का चांद देखा गया है। जामा मस्जिद के पूर्व शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने भी 17 जून को बकरीद का त्योहार मनाने की घोषणा की है।
क्यों मनाते हैं इस पर्व को?
बता दें कि, इस्लामी मान्यता के अनुसार, पैगंबर इब्राहिम अपने पुत्र इस्माइल को इसी दिन अल्लाह के हुक्म पर अल्लाह की राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उनके बेटे को जीवनदान दिया था और वहां एक पशु की कुर्बानी दी गई थी जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। 3 दिन तक चलने वाले इस पर्व में मुस्लिम समुदाय के लोग अपनी हैसियत के हिसाब से उन पशुओं की कुर्बानी देते हैं, जिन्हें भारतीय कानूनों के तहत प्रतिबंधित नहीं किया गया है। मुफ्ती मुकर्रम ने कहा, मुस्लिम समुदाय के जिन लोगों के पास करीब 613 ग्राम चांदी है या इसके बराबर के पैसे हैं या कोई और सामान है , वे कुर्बानी करने के पात्र हैं।