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Lok Sabha Election 2024 : जब सिर्फ एक हथकड़ी वाले पोस्टर से कांग्रेस को मिली थी करारी हार, बदल गया था सीट का गणित

Yogita Bisht
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पोस्टर

चुनावी दौर चल रहा है और देश में जब भी लोकसभा के चुनाव होते हैं तब काफी सीटें ऐसी होती हैं जिनकी चर्चा खूब की जाती है। ऐसी ही एक सीट है मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट जो इमरजेंसी के बाद काफी चर्चाओं में रही। क्योंकि जब देश की हर सीट में कांग्रेस का राज था तब इस सीट पर बड़ौदा डाइनामाइट कांड जैसे कांड में गिरफ्तार हुए एक शख्स ने सिर्फ एक हथकड़ी वाले पोस्टर के जरिए कांग्रेस को करारी हार दी थी।

बिहार में आती है मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट

मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट बिहार में आती है। इस सीट पर पहली बार साल 1957 में लोकसभा चुनाव लड़ा गया। तब इस सीट पर कांग्रेस पार्टी के श्याम नंदन सहाय ने 88,998 मतों से जीत हासिल की। इसके बाद साल 1962 से 1971 तक ये लोकसभा सीट कांग्रेस के कब्जे में ही रही। अब साल 1976 में एक बार फिर लोकसभा चुनाव होने वाले थे। लेकिन इससे पहले ही साल 1975 में देश में इमरजेंसी लगा दी गई।

इसकी सूचना इंदिरा गांधी के कट्टर विरोधी जॉर्ज फर्नांडिस को भी मिली। रेडियो पर ये खबर मिलते ही जॉर्ज ने आपातकाल लगाए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के मकसद से एक साजिश रची। जिसमें उन्होंने डाइनामाइट के जरिए विस्फोट और विध्वंस करने का फैलसा किया। ये विस्फोट मुख्यत: खाली सरकारी भवनों में, पुलों, रेलवे लाइन समेत इंदिरा गांधी की सभाओं के करीब होने थे।

हथकड़ी वाले पोस्टर से कांग्रेस को मिली थी करारी हार

आपातकाल पर लिखी कूमी कपूर की एक किताब के मुताबिक डायनामाइट के इस्तेमाल की ट्रेनिंग बड़ौदा में ही कुछ लोगों को दी गई। इस बड़ौदा डायनामाइट केस का मकसद अव्यवस्था फैलाना और केंद्र की सरकार को उखाड़ फेंकना था। लेकिन बड़ौदा पुलिस ने शहर के रावपुरा इलाके में एक छापे के दौरान विस्फोटक बरामद कर लिए। जिसके बाद जून 1976 में फर्नांडिस समेत अन्य 22 लोगों को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया।

अब इंदिरा गांधी ने चुनावों की घोषणा करने के साथ ही देश में इमरजेंसी भी खत्म हो गई। अब दिल्ली में फर्नांडिस को चुनाव लड़ाने का फैसला लिया गया। जॉर्ज की सहमति मिलते ही सच्चिदानंद उनके चुनाव प्रचार करने की रणनीति बनाने लगे। अब इसके लिए एक पोस्टर बनाना था। काफी सोच विचार के बाद उन्होंने कागज पर एक तस्वीर बनाई। जिसमें एक व्यक्ति के हाथ में जंजीर थी और नीचे लिखा गया था। इस जंजीर को तोड़ने के लिए जॉर्ज को जिताएं। अब इस व्यक्ति की जगह जॉर्ज की तस्वीर लगाई गई और मात्र 28 रुपए के ऑर्डर से एक पोस्टर बनाया गया।

जॉर्ज ने दिग्गज कांग्रेसी नेता को दी पटखनी

रातों रात ज़ॉर्ज के हथकड़ी लगी तस्वीर वाला ये पोस्टर चौक-चौराहों पर लगा दिया गया। इस पोस्टर ने कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले मुजफ्फरपुर में ऐसा असर डाला कि जॉर्ज ने रिकॉर्ड मतों से दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय नारायण सिंह को आसानी से पटखनी दे दी। इसी के साथ जॉर्ज 5 बार मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट से सांसद भी रहे।

साल 1977 में जॉर्ज फर्नांडिस को मिले थे 396,687 वोट

  • साल 1980 में 195,510
  • साल 1989 में 492,615
  • साल 1991 में 320,833
  • साल 2004 में 370,127

जॉर्ज ने तीन मंत्रालयों का संभाला था कार्यभार

फर्नांडिस ने अपने राजनीतिक जीवन में कुल तीन मंत्रालयों का कार्यभार संभाला। उद्योग, रेल और रक्षा मंत्रालय पर वो इनमें से किसी में भी बहुत सफल नहीं हो पाए। जॉर्ज का रक्षामंत्री के रुप में कार्यकाल खासा विवादित रहा। ताबूत घोटाले और तहलका खुलासे से उनके संबंध के मामले में जॉर्ज को अदालत से तो क्लीन चिट मिल गई। लेकिन लोगों के जहन से ये बात उसके बाद भी नहीं गई की जॉर्ज के रत्रामंत्री रहते हुए ऐसा हुआ था। उनके कार्यकाल के दौरान हालात इतने खराब हो गए थे कि मिग-29 विमानों को लोग फ्लाइंग कॉफिन तक कहने लगे थे।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।