बांग्लादेश में हालात काफी खराब हैं। शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया है। वो देश छोड़कर भाग गई है। वहीं दूसरी तरफ सभी के मन में यह सवाल है कि आखिर ऐसा किया हुआ कि शांतिपूर्ण रुप से चल रहे छात्रों के प्रदर्शन ने उग्र रुप धारण कर दिया? इस हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई है। बांग्लादेश में सेना ने कर्फ्यू लगा दिया है और अधिकारियों ने अशांति को नियंत्रित करने के लिए इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी है।
क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग?
दरअसल, प्रदर्शनकारी छात्र विवादित आरक्षण प्रणाली क समाप्त करने की मांग कर रहे हैं। इसके तहत Bangladesh के लिए साल 1971 में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता संग्रामियों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित की गई हैं।
प्रदर्शनकारी छात्रों का तर्क है कि मौजूदा आरक्षण के नियमों का फायदा शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग से जुड़े लोगों को मिल रहा है। इसे लेकर प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना सरकार के प्रति असंतोष व्यक्त किया है। सरकार ने बांग्लादेश में स्कूलों और कॉलेजों को बंद करने का फैसला लिया। इसके बाद भी सरकार देश में फैली अशांति को नियंत्रित करने में विफल साबित हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी प्रदर्शनकारी नाखुश
आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी प्रदर्शनकारी खुश नहीं दिखाई दिए। उनकी मांग है कि स्वतंत्रता संग्रामियों के परिजनों को सरकारी नौकरियों में दिया जाने वाला आरक्षण पूरी तरह से खत्म होना चाहिए। इस बीच मौजूदा सेना प्रमुख ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया और इस वजह से देश में दंगों की आग और ज्यादा भड़क गई।
इस छात्र संगठन ने भड़काई हिंसा
मीडिया रिपोर्ट में यह भी जानकारी सामने आई है कि बांग्लादेश में छात्र शिविर नाम के छात्र संगठन ने हिंसा को भड़काने का काम किया है। यह छात्र संगठन बांग्लादेश में प्रतिबंधित संगठन जमात-ए इस्लामी की शाखा है। बताया जाता है कि जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान की आईएसआई का समर्थन प्राप्त है। उधर, बांग्लादेश सरकार इस बात का पता कर रही है कि क्या मौजूदा स्थिति में आईएसआई ने भी हस्तक्षेप किया है।