लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग कल शनिवार 16 मार्च को करेगा। इसके साथ ही राज्यों में विधानसभा (ओडिशा, सिक्किम, अरूणाचल प्रदेश और आंध्र प्रदेश) के चुनावों की तारीखों की भी घोषणा होगी। चुनाव आयोग की इस घोषणा के बाद देश भर में आचार संहिता लागू हो जाएगी। आइये जानते हैं क्या होती है आचार संहिता? कौन इसे लागू करता है? इस दौरान कौन से काम बंद और कौन से काम जारी रहते हैं।
आचार संहिता क्या है?
चुनाव आयोग ने देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाए हैं। आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों के लिए जरुरी होता है। इलेक्शन कमीशन भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधान मंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचनों के आयोजन के लिए अपने संवैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में केंद्र और राज्यों में सत्तारूढ़ दल और चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों से इसका पालन सुनिश्चित करता है। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि निर्वाचन के प्रयोजनार्थ अधिकारी तंत्र का दुरुप्रयोग न हो। आचार संहिता लागू होते ही सरकारी कर्मचारी बन जाते हैं। आचार संहिता सभी राजनीतिक दलों की सहमति से लागू एक सिस्टम है।
कब तक रहती है आचार संहिता लागू?
चुनाव आयोग जब तारीखों की घोषणा करता है। उसी के साथ ही आचार संहिता लागू हो जाती है। इस बार आचार संहिता कल यानी 16 मार्च 2024 से लागू हो जाएगी। क्योंकि चुनाव आयोग शनिवार को चुनाव की तारीखों का ऐलान करेगा। आचार संहिता निर्वाचन प्रक्रिया पूरी होने तक लागू रहती है। या दूसरे शब्दों मे कहें तो आचार संहिता चुनावी परिणाम आने तक लागू रहती है। चुनाव प्रक्रिया पूरी होते ही आचार संहिता समाप्त हो जाती है।
उल्लंघन किया तो क्या होगा?
कोई आम आदमी भी इन नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर भी आचार संहिता के तहत कार्रवाई की जाएगी। इसका मतलब यह है कि यदि आप अपने किसी नेता के प्रचार में लगे हैं, तब भी आपको इन नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा। कोई राजनेता आपको इन नियमों के इतर काम करने के लिए कहता है तो आप उसे आचार संहिता के बारे में बताकर ऐसा करने से मना कर सकते हैं। क्योंकि ऐसा करते पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई होती है। उल्लंघन करने पर आपको हिरासत में लिया जा सकता है।
ट्रांसफर- पोस्टिंग नहीं होगी
आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की ट्रांसफर- पोस्टिंग सरकार नहीं कर सकती है। ट्रांसफर कराना बहुत जरूरी हो गया हो, तब भी सरकार बिना चुनाव आयोग की सहमति के ये फैसला नहीं ले सकती है। इस दौरान राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त जरुरत के हिसाब से अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते हैं।
आचार संहिता के उल्लंघन पर क्या होता है?
कोई भी नेता या राजनीतिक दल आचार संहिता का उल्लंघन नहीं कर सकता। यदि कोई नियमों का पालन नहीं करता तो उसके खिलाफ चुनाव आयोग एक्शन लेता है। प्रत्याशी को चुनाव लड़ने से भी रोका जा सकता है। यदि किसी ने आचार संहिता का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। FIR दर्ज की जाएगी।
कब हुई थी शुरुआत?
बता दें कि आचार संहिता की शुरुआत सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव में हुई थी, जिसमें बताया गया कि उम्मीदवार क्या कर सकता है और क्या नहीं। चुनाव आयोग ने 1962 के लोकसभा चुनाव में पहली बार इसके बारे में सभी राजनीतिक दलों को अवगत कराया था। 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से आचार संहिता की व्यवस्था लागू हुई। तब से अब तक इसका नियमित पालन हो रहा है।
किन कार्यों पर होती है पाबंदी?
- आचार संहिता लागू होने पर सरकार नई योजना और नई घोषणाएं नहीं कर सकती।
- चुनावी प्रचार के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
- राजनीतिक दलों को रैली, जुलूस या फिर मीटिंग के लिए परमिशन लेनी होती है।
- धार्मिक स्थलों और प्रतीकों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं किया जा सकता है।
- मतदाताओं को किसी भी तरह से रिश्वत नहीं दी जा सकती है।
- आतार संहिता लागू होते ही दीवारों में लिखे गए सभी तरह के पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामाग्री हटा दी जाती है।
- धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जा सकते हैं।
- नए राशन कार्ड नहीं बनते। पेंशन फॉर्म जमा नहीं होते हैं।
- कोई भी नया सरकारी काम शुरु नहीं होता है।
- हथियार रखने के लिए नया आर्म्स लाइसेंस नहीं बनेगा। बीपीएल के पीले कार्ड नहीं बनाए जाएंगे।