Char Dham Yatra : Chota Char Dham : क्या है छोटा चारधाम ?, क्यों इतनी प्रसिद्ध है ये यात्रा ? - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

Chota char dham : क्या है छोटा चारधाम ?, क्यों इतनी प्रसिद्ध है ये यात्रा ?

Yogita Bisht
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छोटा चार धाम यात्रा

चारधाम यात्रा का हिन्दू सनातन धर्म में बहुत ही महत्व है। हर साल लाखों श्रद्धालु चार धाम की यात्रा करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ चारधाम यात्रा नहीं बल्कि दो यात्राएं होती हैं। जिन्हें बड़ा चारधाम और छोटा चारधाम यात्रा के नाम से जाना जाता है। देश के चार धामों को बड़ा चारधाम (bada char dham) कहा जाता है। तो आइए जानते हैं किसे कहते हैं छोटा चारधाम ?

क्या है छोटा चारधाम और बड़ा चारधाम ?

देश की चार दिशाओं में उत्तर दिशा में बद्रीनाथ धाम, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका पुरी स्थित है इन्हें बड़ा चारधाम कहा जाता है। बद्रीनाथ, रामेश्वरम, द्वारिका और पुरी की यात्रा को big char dham yatra भी कहा जाता है। जबकि उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, गंगोत्री और यमनोत्री को छोटा चारधाम कहा जाता है। हर साल मई के महीने में छोटा चार धामों के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं।

क्यों प्रसिद्ध है छोटा चारधाम यात्रा ?

आपको बता दें कि हर साल उत्तराखंड में चारधाम यात्रा होती है। जिसे की छोटा चारधाम यात्रा (Chota char dham) के नाम से भी जाना जाता है। जिसमें केदारनाथ (शिव ज्योतिर्लिंग), यमुनोत्री (यमुना का उद्गम स्थल) एवं गंगोत्री (गंगा का उद्गम स्थल) और भू-बैंकुठ की यात्री की जाती है।बता दें कि बद्रीनाथ में तीर्थयात्रियों की अधिक संख्या होती है और इन धामों के उत्तर भारत और एक ही राज्य में होने के कारण इस यात्रा को तीर्थयात्री ज्यादा महत्व देते हैं। इसीलिए इसे छोटा चारधाम भी कहा जाता है।

छोटा चारधाम का महत्व

उत्तराखंड में स्थित चारों धामों पर दिव्य आत्माओं का निवास माना गया है। गंगोत्री, यमनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम बेहद ही पवित्र माने जाते हैं। केदारनाथ को भगवान शिव का विश्राम स्थल माना जाता है। जबकि बद्रीनाथ को सृष्टि का आठवां बैकुंठ कहा जाता है। तो वहीं गंगोत्री से पवित्र गंगा का उद्गम है और यमनोत्री से पवित्र यमुना का उद्गम है। जिस कारण ये चारों स्थान पूज्यनीय हैं।

1. यमुनोत्री (Yamunotri)

उत्तराखंड का यमुनोत्री धाम समुद्र तल से 3225 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद है। इस स्थान को मां यमुना का निवास स्थान माना जाता है। शास्त्रों में इस धाम को मां यमुना का निवास स्थान कहा गया है। यहां से यमुना का उद्गम होता है। मां यमुना का मंदिर आस्था का प्रतीक है। आपको बता दें कि छोटा चारधाम यात्रा या फिर चारधाम यात्रा की शुरूवात यमुनोत्री धाम से ही होती है।

yamnotri Dham 2023
Yamunotri——

2. गंगोत्री (Gangotri)

गंगोत्री को बेहद ही पवित्र स्थल माना जाता है। ये गंगा नदी का उद्गम स्थल है। गंगोत्री समुद्रतल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। बता दें कि नदी की धारा को भागीरथी भी हा जाता है। आपको बता दें कि चारधाम यात्रा या छोटा चारधाम यात्रा का गंगोत्री दूसरा पड़ाव है।

char dham yatra
गंगोत्री धाम——

3. केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham)

केदारनाथ धाम चारधाम यात्रा का तीसरा पड़ाव है। शिव भक्तों के दिल में केदारनाथ एक अलग ही स्थान रखता है। बाबा के दर्शनों को लिए भक्तों को कठिन रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। बाबा केदार छह महीने अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। जबकि शीतकाल में छह महीने वो तपस्या में लीन रहते हैं। इस दौरान मंदिर में कोई भी नहीं होता है। बता दें कि शीतकाल में भगवान केदारनाथ शीतकालीन गद्दीस्थल ओमकारेश्वर मंदिर में दर्शन देते हैं।

char dham yatra
kedarnath——

4. बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham)

भारत के चारधाम में से एक बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड में स्थित है। इसे विशाल बद्री के नाम से भी जाना जाता है। बता दें कि ये धाम ये भगवान विष्णु को समर्पित है। चमोली जिले में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित बद्रीनाथ में भगवान विष्णु ध्यान मुद्रा में विराजमान हैं। जिस कारण माना जाता है कि यहां भगवान विष्णु छह महीने निद्रा में रहते हैं और छह महीने जागते हैं।

बद्रीनाथ, how to reach Badrinath, कैसे पहुंचे बद्रीनाथ
बद्रीनाथ

इसी कारण बद्रीनाथ धाम के कपाट छह महीने के लिए बंद रहते हैं। यहां केवल छह महीने ही पूजा होती है। यहां अखण्ड दीप जलता है जो कि अचल ज्ञान ज्योति का प्रतीक है। बता दें कि भगवान बद्रीविशाल को वनतुलसी की माला, चने की कच्ची दाल, गिरी का गोला और मिश्री का प्रसाद चढ़ाया जाता है।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।