ऐसे हुई थी कांवड़ यात्रा की शुरूआत? ये था पहला कांवड़िया?
सावन की शुरुआत के साथ ही केसरिया रंग में रंगे कावडिये हमें भोले शंकर का जयकारा लगाते हुए दिख जाते हैं। कावड़ियों की इस यात्रा को कावण यात्रा कहा जाता है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा की शुरुआत कैसे हुई थी और कौन था सबसे पहला कांवड़िया। अगर नहीं तो चलिए जानते है कांवड़ यात्रा से जुड़ी मान्यताओं के बारे में
कांवड़ यात्रा की शुरुआत के बारे में कई मान्याताए है। सबसे पहली मान्यता के मुताबिक भगवान परशुराम ने सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी।
सावन के महीने में परशुराम गढ़मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल लेकर आए और यूपी के बागपत के पास स्थित ‘पुरा महादेव’ में पहुंचकर गंगाजल से अभिषेक किया था। तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।
दूसरी मान्यता के मुताबिक प्रभू राम पहले कांवड़िया थे। भगवान राम ने बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर देवघर स्थित बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का अभिषेक किया था।
रावण को भी पहला कांवडिया बताया जाता है। कहा जाता हैं कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव के विष पान करने से नकारात्मक शक्तियों ने उन्हें घेर लिया था। तब रावण ने गंगाजल भरकर महादेव का अभिषेक किया।
कहा जाता हैं त्रेतायुग में श्रवण कुमार ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। श्रवण कुमार ने अंधे माता पिता को तीर्थ यात्रा पर ले जाने के लिए कांवड़ पर बैठाया था।