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14 प्रयास किए 9 बार हुए फेल, मेहनत के दम पर हासिल की सफलता, विनय बने सेना में अधिकारी

Yogita Bisht
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विनय भंडारी

कोशिश करने वालों की हार नहीं होती इसी को टिहरी के विनय ने सच कर दिखाया है। विनय का बचपन से ही सेना में जाने का सपना था। जिसके लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की। उन्होंने 14 प्रयास किए जिसमें 9 बार वो फेल हुए। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और आज अपनी मेहनत के दम पर वो सेना में अफसर बन गए हैं।

14 प्रयास किए जिसमें 9 बार हुए फेल

टिहरी गढ़वाल की देवप्रयाग विधानसभा के कीर्तिनगर ब्लॉक के सुपाणा गांव के विनय भंडारी आईएमए से पास आउट होने के बाद सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं। विनय ने सेना में अधिकारी बनने के लिए कुल 14 बार प्रयास किए। जिसमें वो 9 बार फेल हुए। लेकिन अपनी कड़ी मेहनत के बल पर विनय भंडारी ने आखिरकार सफलता हासिल कर ही ली।

कड़ी मेहनत से विनय बने सेना में अधिकारी

मूल रूप से सुपाणा हाल निवास तहसील रोड श्रीनगर के रहने वाले विनय भंडारी बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में होशियार थे। उन्होंने अपनी कक्षा 1 से लेकर 10वीं की पढ़ाई गुरु रामराय स्कूल श्रीनगर से की है। इसके बाद उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग से राजकीय पॉलिटेक्निक से डिप्लोमा हासिल किया और फिर रुड़की से अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी की।

2021-22 में उन्होंने ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे प्रोजेक्ट की कार्यदायी संस्था नवयुगा में बतौर सिविल इंजीनियर के पद भी कार्य किया। इसके बाद उन्होंने नौकरी छोड़कर सेना में जाने का मन बनाया। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू की और अब विनय गोरखा रेजिमेंट में अधिकारी बनें हैं।

बचपन से ही बनना चाहते थे सेना में अधिकारी

विनय भंडारी ने बताया कि वो बचपन से ही सेना में अधिकारी बनना चाहते थे। 9 बार असफलता हाथ लगने के बाद उन्हें ये सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि वो 14वीं कोशिश में सीडीएस परमानेंट कमीशन में निकले हैं। विनय ने बताया कि वो नौ सेना में भी कमीशन प्राप्त कर चुके थे। लेकिन सपना भारतीय थल सेना में अधिकारी बनने का था। इसलिए उन्होंने और ज्यादा मेहनत की और ये मुकाम हासिल किया है।

विनय को सिल्वर मेडल से किया गया सम्मानित

विनय भंडारी ने बताया कि उन्हें बेस्ट केडिट होने के चलते सिल्वर मेडल से भी सम्मानित किया गया है। विनय के पिता खुशाल सिंह भी बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा उनके पिता भी सेना में थे। वे भी सेना में भर्ती होना चाहते थे लेकिन परिवार की जिमेदारी के कारण वे सेना में ना जा सके।अब उनके बेटे ने उनके सपने को सच कर दिया है।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।