Dehradun : उत्तराखंड की बेटी ने किया तीर्थनगरी का नाम रोशन, बनीं अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड की बेटी ने किया तीर्थनगरी का नाम रोशन, बनीं अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी

Reporter Khabar Uttarakhand
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ऋषिकेश : उत्तराखंड की बेटियों का डंका हर ओर बज रहा है। देश ही नहीं दुनिया में भी उत्तराखंडियों ने लोहा मनवाया है। वहीं उत्तराखंड की एक और बेटी है जिसने मेहनत के बल पर अपने प्रदेश औऱ परिवार का नाम रोशन किया। हम बात कर रहे हैं शिल्पा भाटिया कि जिसका चयन उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी पद के लिए हुआ है।  बता दें कि शिल्पा भाटिया ने र्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी पद के लिए आयोजित परीक्षा में सफलता हासिल की है। खास बात ये है कि सामान्य वर्ग के सिर्फ 8 पदों में शिल्पी ने भी कब्जा किया हैजो की बड़ी बात है।

साल 2003 में हो गया था पिता निधन

आपको बता दें कि शिल्पा भाटिया और उसका परिवार ऋषिकेश में रहता है। इससे पहले ऋषिकेश की कात्यायनी दिल्ली में जज बनी। शिल्पा साधारण परिवार से है जिनके पिता अजय भाटिया की मृत्यु साल 2003 में हो गई थी और सारा भार मां नीलम भाटिया पर आ गया था। लेकिन मां ने हार नहीं मानी और परिवार को संभाला। मां ने अकेले बेटियों को पढ़ाया लिखाया। शिल्पा की मां नीलम भाटिया टिफिन सर्विस का काम करती है। मां ने नौकरी की और बेटियों ने पूरा ध्यान पढ़ाई पर लगाया। नतीजा ये रहा कि 2013 में सीबीएसई बोर्ड की 12वीं परीक्षा में शिल्पा भाटिया ने शहर में टॉप किया।

पहली ही कोशिश में शिल्पा ने राष्ट्रीय स्तर पर जेआरएफ परीक्षा क्वालिफाई की

जानकारी के लिए आपको बता दें कि शिल्पा ने राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश से कॉमर्स विषय में स्नातक और परास्नातक किया। शिल्पा ने दोनों में ही कॉलेज में टॉपर रही। साल 2018 में पहली ही कोशिश में शिल्पा ने राष्ट्रीय स्तर पर जेआरएफ परीक्षा क्वालिफाई की। वर्तमान में वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही हैं। उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने साल 2018 अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी पद के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी जिसका रिजल्ट सोमवार को जारी हुआ। शिल्पा ने बताया कि इस पद के लिए कुल 14 रिक्तियां थी, जिनमें सामान्य वर्ग के लिए आठ तथा छह पद आरक्षित थे। शिल्पा ने सामान्य वर्ग में सफलता हासिल की है। शिल्पा ने कामयाबी का श्रेय अपनी मां के अथक संघर्ष को दिया है। उन्होंने कहा कि मां ने स्वयं रात को दो-दो बजे तक काम कर हमारी पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आने दी।

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