Big News : उत्तराखंड : चुनावी फुलझड़ी से ज्यादा कुछ नहीं है यूनिफॉर्म सिविल कोड - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड : चुनावी फुलझड़ी से ज्यादा कुछ नहीं है यूनिफॉर्म सिविल कोड

Reporter Khabar Uttarakhand
3 Min Read
# Uttarakhand Assembly Elections 2022

# Uttarakhand Assembly Elections 2022

देहरादून: BJP पूरे पांच साल सत्ता में रही। यूनिफॉर्म सिविल कोड तब भी बनाया जा सकता था। लेकिन, अचानक चुनाव प्रचार के आखिरी दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐसा बयान दे दिया, जिससे अब वो खुद ही घिरते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने इस मसले पर धामी को आड़े हाथों लिया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा का जहाज डूबने वाला है, इसलिए ऐसे बयान दिए जा रहे हैं।

कर्नाटक में उपजे हिजाब विवाद के बाद अब BJP अब उत्तराखंड में वही रंग देना चाहती है। एक के बाद एक धर्म की राजनीति के मसलों को बेवहज मुद्दा बनाकर केवल और केवल सिहांसन पर बैठने का प्रयास किया जा रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता की चाबी फिर से अपने हाथ लेने के लिए ये बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार बनने पर शपथ ग्रहण करते ही ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ का ड्राफ्ट तैयार करेगी। सवाल यह है कि राज्य सरकार को इस कानून को बनाने का अधिकार ही नहीं है।

कोई भी राज्य सरकार केवल केंद्र को प्रस्ताव भेज सकती है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि ना तो उत्तराखंड सरकार ने पूरे पांच साल इस पर कुछ कहा और ना ही केंद्र सरकार ने इस दिशा में कोई पहल नहीं की। फिर चुनाव प्रचार के आखिरी दिन ऐसा बयान देने कितना सही है। मुख्यमंत्री कहा कि उत्तराखंड की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत की रक्षा के लिए भाजपा सरकार अपने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद एक कमेटी गठित कर ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ का ड्राफ्ट तैयार करेगी। जिससे सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनेगा, चाहे वे किसी भी धर्म में विश्वास रखते हों।

हिजाब पहनकर आ रही छात्राओं को क्लास में आने से रोकने के बाद यह विवाद बढ़ता जा रहा है। विवाद बढ़ता देख कर्नाटक में 16 फरवरी तक सभी कॉलेज, स्कूल बंद रहेंगे। बड़ा सवाल है कि उत्तराखंड में इस तरह का ना तो कोई मामला सामने आया है और ना ऐसी स्थितियां नजर आने की कोई आशंका है। बावजूद, CM धामी इस तरह के बयान जारी कर रहे हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि भाजपा ने यह घोषणा केवल वोटरों को लुभाने के लिए दिया है। एक और बात यह भी है कि अधिकांश लोग इसके बारे में जानते भी नहीं हैं और ना कभी यूनिफॉर्म सिविल कोड की मांग उठी है।

Share This Article