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उत्तराखंड: हाई कोर्ट में सोमवार को जांच रिपोर्ट सौंपेगी सरकार, हरक सिंह रावत से जुड़ा है मामला

Reporter Khabar Uttarakhand
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nainital high court नैनीताल हाईकोर्ट

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नैनीताल: हाई कोर्ट ने सरकार को सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में भ्रष्टाचार के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस मामले में सरकार ने हाई कोर्ट में कहा कि मामले की प्रारंभित जांच पूरी हो चुकी है। कोर्ट ने सरकार ने सोमवार को घपले की जांच रिपोर्ट सील बन्द लिफाफे में पेश करने को कहा है।

वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में काशीपुर निवासी खुर्शीद हुसैन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। गुरुवार को बोर्ड के चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल ने खुद को पक्षकार बनाए जाने हेतु प्रार्थना पत्र दिया था। चेयरमैन के अनुसार याचिका में उनको पक्षकार नहीं बनाया गया। जबकि वे पूरे घोटाले से वाकिफ हैं।

कोर्ट को उनका पक्ष सुनना आवश्यक है। कहा कि बोर्ड के सदस्यों ने कोटद्वार में ई एसआई हॉस्पिटल बनाने के लिए बिना सरकार व कैबिनेट की मंजूरी के ब्रिज एंड रूफ इंडिया लिमिटेड कंपनी को 50 करोड़ का ठेका दे दिया। यही नहीं कम्पनी को 20 करोड़ रुपया अग्रिम भुगतान भी कर दिया जबकि हकीकत यह है कि अभी तक हॉस्पिटल बनाने के लिए जमीन का चयन तक नही किया गया।

बिना सरकार की अनुमति के 20 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान नही किया जा सकता । सरकार ने नौ दिसम्बर 2020 को इसकी जांच हेतु एक कमेटी गठित की थी। कमेटी से यह कहा गया था कि कम्पनी से 20 करोड़ रुपया वसूलकर इसको सम्बन्धित खाते में जमा करवाएं। इस जांच कमेटी ने सरकार को अपनी रिपोर्ट 23 मार्च 2021 को सौप दी थी। जांच में 20 करोड़ रुपये का गबन होना पाया गया था।

चेयरमैन का कहना है कि जब जांच पूरी हो चुकी है तो सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नही कर रही है। इसे सार्वजनिक किया जाय। जनहित याचिका में 2020 में भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को टूल किट, सिलाई मशीनें एवं साइकिल देने हेतु समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया गया था लेकिन इनको खरीदने में बोर्ड के अधिकारियों द्वारा वित्तीय अनियमिताएं बरती गई।

जब इसकी शिकायत प्रशासन व राज्यपाल महोदय से की गई तो अक्टूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर दिया गया। बोर्ड का नया चेयरमैन शमशेर सिंह सत्याल को नियुक्त किया गया। जब इसकी जांच चेयरमैन द्वारा कराई गई तो घोटाले की पुष्टि हुई। उक्त मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड के द्वारा भी जांच की गई, जिसमें बड़े बड़े सफेदपोश नेताओ व अधिकारियों के नाम सामने आए लेकिन सरकार ने उनको हटाकर उनकी जगह नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया जिसके द्वारा निष्पक्ष जांच नही की जा रही है। अपने लोगो को बचाया जा रहा है।

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