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उत्तराखंड : शहीद मोहन लाल रतूड़ी के बेटे को मिली सरकारी नौकरी, दूसरे की पैरामिलिट्री फोर्स में जाने की चाह

Reporter Khabar Uttarakhand
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40 soldiers of CRPF martyred in pulwama

40 soldiers of CRPF martyred in pulwama

देहरादून : पुलवामा आतंकी हमले में देश के 40 जवान शहीद हुए थे जिसमे उत्तराखंड के मोहन लाल रतूड़ी भी शामिल थे। आज उनका परिवार उनकी यादों के सहारे आगे बढ़ रहा है। बेटियां पिता का नाम रोशन करने के लिए पढ़ रही हैं तो वहीं शहीद जवान के बेटे को राज्य सरकार की तरफ से नौकरी मिल गई है। आज भी पति को याद कर उनकी पत्नी की आंखों में आंसू छलक उठते हैं। आज भी पिता को याद कर बेटियां रो पड़ती हैं। लेकिन अब फक्र से शहीद जवान मोहन लाल रतूड़ी का परिवार आगे बढ़ रहा है। उन्हें गर्व है कि उनके पिता देश के लिए शहीद हुए।

मूलरूप से उत्तरकाशी के रहने वाले हैं शहीद रोशन लाल रतूड़ी

बता दें कि मूलरूप से उत्तरकाशी के बनकोट, चिन्यालीसौंड़ के थे। वर्तमान में उनका परिवार देहरादून में रहता है। मोहनलाल की प्राथमिक शिक्षा गांव से हुई। इसके बाद उन्होंने गांव से दस किलोमीटर दूर राजकीय इंटर कॉलेज जोगत से कक्षा दस तक की पढ़ाई की। उस समय सड़क न होने के कारण स्कूल तक का सफर उन्हें पैदल ही तय करना पड़ता था।  उनके पिता पंडिताई का काम करते थे। आज शहीद जवान का परिवार मेहनत औऱ पिता के याद के सहारे आगे बढ़ रहा है। इसमे कुछ मदद राज्य सरकार ने की तो कुछ सीआरपीएफ ने। पिता के जाने के गम को भुलाकर परिवार आगे बढ़ रहा है वो भी गर्व के साथ।

40 soldiers of CRPF martyred in pulwama

बेटे को मिली उत्तरकाशी कलेक्ट्रेट में लिपिकीय संवर्ग में तैनात 

जानकारी मिली है कि मोहनलाल रतूड़ी साल 1988 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। उनके परिवार में पत्नी सरिता, 3 बेटियां और दो बेटे हैं। मोहन लाल रतूड़ी की शहादत की खबर सुन परिवार टूट गया था। चीख पुकार मच गई थी। शहीद की पत्नी का कहना है कि सरकार व समाज ने उन्हेंं पूरा सम्मान व सहयोग दिया है। जानकारी मिली है कि उनके बड़े बेटे शंकर को राज्य सरकार की तरफ से नौकरी मिल गई है जो की उत्तरकाशी कलेक्ट्रेट में लिपिकीय संवर्ग में तैनात हैं। बेटी गंगा बीएससी करने के साथ ही मेडिकल की कोचिंग ले रही हैं। शहीद की एक बेटी वैष्णवी डीएवी पीजी कॉलेज से बीएड कर रही हैं। उसे सरकारी सीट मिली है जो की अब सिविल सेवा की भी तैयारी कर रही हैं। सीआरपीएफ ने शहीद के परिवार की आर्थिक रूप से भी मदद की। उनका छोटा भाई श्रीराम केंद्रीय विद्यालय आइटीबीपी में कक्षा 11वीं में पढ़ रहा है जो की आगे चलकर पैरामिलिट्री फोर्स में जाना चाहता है। शहीद की एक बेटी की शादी हो चुकी है।

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