देहरादून: 2022 का सियासी संग्राम शुरू हो चुका है। कांग्रेस ने अपने 53 प्रत्याशी मैदान में उतार दिए हैं। लेकिन, अब भी 17 नामों का ऐलान नहीं हो पाया है। सबसे बड़ी बात यह है कि हरीश रावत कहां से चुनाव लड़ेंगे, इस पर पेंच फंसा हुआ है। हरदा रामनरग सीट ये चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि रामनगर से कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत भी ताल ठोक रहे हैं और वो हर हाल में वहीं से चुनाव लड़ना चाहते हैं। सवाल यह है कि अगर हरीश रावत को टिकट मिलता है, तो क्या रणजीत रावत उनके खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे?
रणजीत रावत हरीश रावत के बेहद करीबी रहे। लेकिन, अब वक्त के साथ दोनों की नजदीकियां दूरियों में बदल चुकी हैं। दोनों ही एक-दूसरे के विरोधी हैं। रणजीत रावत हरीश रावत के खिलाफ खुलकर बयानबाजी भी करते रहे हैं। प्रीतम सिंह से दूरी बनाने वाले रणजीत रावत अब उनके बेहद खास हैं। सभी इस बात से सभी वाकिफ हैं कि हरीश रावत और प्रीतम सिंह दोनों के अपने-अपने गुट हैं। यही गुटबाजी अब कांग्रेस पर भारी पड़ रही है।
गुटों में बंटी कांग्रेस के सामने में रामनगर सीट का टिकट सबसे बड़ी आफत बन गया है। हरीश रावत यहां से चुनाव लड़ने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं, लेकिन रणजीत रावत सीट से अपनी दावेदारी छोड़ने को कतई तैयार नहीं हैं। हदरा से रणजीत रावत के समर्थक भी खुलेतौर पर रामनगर से चुनाव नहीं लड़ने की बात कह रहे हैं। सियासी गलियारों में ऑडियो भी चर्चा में है, जिसमें हरीश रावत रामनगर से चुनाव लड़ने के बारे में पूछ रहे हैं। समर्थक उनसे रामनगर में रणजीत रावत के पक्ष में प्रचार करने के लिए कह रहे हैं।
2007 में रामनगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी दिवान सिंह बिष्ट ने कांग्रेस प्रत्याशी योगंबर सिंह को हराया था। 2007 में उत्तराखंड में भाजपा की सरकार बनी थी। 2012 में कांग्रेस प्रत्याशी अमृता रावत ने भाजपा के दिवान सिंह को हराया। अब अमृता रावत भाजपा में हैं। 2012 में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी। 2017 में भाजपा के दिवान सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी रणजीत रावत को हराया।
अब तक इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस ने भी बारी-बारी जीत हासिल की है। लेकिन, अब 2022 में कौन बाजी मारेगा यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन, उससे पहले सबकी निगाहें, कांग्रेस पर हैं कि किसको टिकट दिया जाता है। यह भी देखना होगा कि टिकट बंटवारे के बाद रणजीत रावत क्या कदम उठाते हैं। वो कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय लड़ेंगे या कांग्रेस कोई हल निकाल लेगी?