Highlight : उत्तराखंड : हाईकोर्ट का केंद्र को निर्देश, राज्य को मिले 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड : हाईकोर्ट का केंद्र को निर्देश, राज्य को मिले 300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन

Reporter Khabar Uttarakhand
4 Min Read
nainital high court नैनीताल हाईकोर्ट

Nainital haighcourt

नैनीताल : हाईकोर्ट ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए केब्द्र सरकार को कड़े निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार को जांच बढाने और ICMR के निर्देशों का सख्ती से पालन करने को कहा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेशित किया है कि वह राज्य सरकारों के लिए ऑक्सीजन का कोटा 183 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 300 मीट्रिक टन किए जाने पर गंभीरता से विचार करे। हाईकोर्ट का कहना है कि उतराखंड का बहुत बड़ा हिस्सा पर्वतीय क्षेत्र है। वहां निरंतर ऑक्सीजन सप्लाई किए जाने की आवश्यकता पड़ेगी।

केंद्र सरकार उत्तराखंड सरकार की उन मांगों पर गंभीरता से निर्णय लें, जिसमें उसने केंद्र से 10000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, 10000 ऑक्सीजन सिलेंडर 30 प्रेशर स्विंग ऑक्सीजन प्लांट, 200 सीएपी, 200 बाइपेप मशीन तथा एक लाख पल्स ऑक्सीमीटर की मांग की है। कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार राज्य सरकार के उस आवेदन पर एक सप्ताह में निर्णय ले जिसमें राज्य सरकार ने अपने ऑक्सीजन के कोटे का प्रयोग अपने ही उत्पादन से करने देने की अनुमति मांगी है।

हाईकोर्ट ने राज्य में फैल रहे कोरोना वायरस के संबंध में राज्य की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के खिलाफ दायर अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुरक्षित रखे गए फैसले पर मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकार को उक्त आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेशित किया है कि वह चार धाम के लिए जारी एसओपी का पालन गंभीरता से कराए और यह सुनिश्चित कराए कि पुजारियों और स्थानीय श्रद्धालुओं की कोरोना से सुरक्षा हो सके। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार इस बात का प्रमाण प्रस्तुत करे कि उच्च स्तरीय कमेटी की संस्तुतियों और सुझावों का वह पूर्ण अनुपालन कर रही है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को भवाली में 100 बेड का कोविड केयर सेंटर भवाली सैनिटोरियम में शीघ्रता से स्थापित करने के आदेश दिए। साथ ही कहा कि राज्य और केंद्र सरकार दोनों उतराखंड के रेमडेसिविर के कोटे की आपूर्ति निर्बाध रूप से सुनिश्चित कराएं। केंद्र सरकार के अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वह अगली तिथि पर भारत सरकार के मंत्रालय के सक्षम अधिकारी जो उतराखंड सरकार के निवेदन पर निर्णय लेने में सक्षम हो या इस बात का स्पष्टीकरण दे सके कि उतराखंड के भेजे हुए निवेदन पर क्यों विचार नहीं हो रहा है, उसे व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के सामने उपस्थित करें।

हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार लगातार घटते जांचों की संख्या का कोई स्पष्टीकरण नहीं दे पाई। खासकर भीड़ वाले शहरों में कम टेस्ट होना हैरान करता है। कोर्ट ने कहा कि हमारे जैसे अर्द्धसंघीय व्यवस्था में यह केंद्र सरकार का सांविधानिक दायित्व है कि वह राज्य सरकार के संरक्षण के लिए आगे आए, लेकिन राज्य के पत्रों का केंद्र द्वारा जवाब तक न देना हैरान करने वाला है।

Share This Article