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टनल हादसा : क्या होती है एस्केप टनल ?, उत्तरकाशी में कंपनी ने क्यों नहीं बनाई ?

Yogita Bisht
3 Min Read
उत्तरकाशी टनल हादसा (2)

उत्तरकाशी के सिलक्यारा में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए कोशिशें जारी हैं। लेकिन अब तक कोई भी कोशिश सफल नहीं हो पाई है। इस टनल हादसे के बाद से एस्केप टनल को लेकर चर्चाएं तेज हैं। कि अगर सुरंग में एस्केप टनल होती तो आज मजदूर ऐसे सुरंग के अंदर फंसे नहीं होते।

क्या होती है एस्केप टनल (Escape Tunnel) ?

उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग में बीते आठ दिनों से मजदूर फंसे हुए हैं। मजदूरों को निकालने के लिए लगातार कोशिशें की जा रही है। इसी बीच बार-बार कहा जा रहा है कि अगर एस्केप टनल होती तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता। आपको बता दें कि किसी भी सुरंग में आपात स्थिति में बचाव कार्य को सुविधाजनक बनाने के लिए एस्केप टनल बनाई जाती है। एस्केप टनल से किसी भी आपात स्थिति में रेस्क्यू ऑपरेशन करने में बहुत आसानी होती है।

UTTARAKHAND
—–एस्केप टनल (जम्मू कश्मीर)——

जम्मू कश्मीर में है भारत की सबसे बड़ी एस्केप टनल

जब भी कहीं सुरंग का निर्माण किया जाता है तो उसके साथ ही एस्केप टनल बनाई जाती है। ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। भारत की सबसे लंबी एस्केप टनल जम्मू कश्मीर में है। बनिहाल-कटरा रेल लाइन में 12.89 किलोमीटर लंबी एस्केप टनल बनाई गई है।

उत्तरकाशी में कंपनी ने क्यों नहीं बनाई एस्केप टनल ?

उत्तरकाशी में टनल का निर्माण नवयुगा कंपनी कर रही है। इस डबल लेन सुरंग का निर्माण साल 2018 से न्यू आस्टि्रयन टनलिंग मेथड से हो रहा है। जब भी कहीं पर सुरंग का निर्माण किया जाता है उसके साथ एस्केप टनल बनाई जाती है। लेकिन उत्तरकाशी में एस्केप टनल नहीं बनाई गई। जिसको लेकर अब कई सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि अगर एस्केप टनल का निर्माण अगर किया जाता तो आज मजदूरों को निकालने के लिए इतनी जदोजहत ना करनी पड़ती।

कागजों में तो दिखाई एस्केप टनल लेकिन हकीकन में नहीं बनाई

हैरानी के बात तो ये है कि कंपनी द्वारा कागजों में बाकायदा निकास सुरंग का डिजाइन तैयार किया गया है। लेकिन इस निकास सुरंग को धरातल पर नहीं उतारा गया। इस सुरंग को बनाने में कंपनी की लापरवाही सामने आई है। कंपनी की लापरवाही के कारण ही आज 41 मजदूर बीते आठ दिनों से सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं। अगर कंपनी द्वारा एस्केप टनल बनाई गई होती तो आज फंसे हुए श्रमिक आसानी से बाहर आ सकते थे। बता दें कि उत्तरकाशी में बन रही सुंरेग डबल लेन सुंरग है जिसमें सुरक्षा की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिए थी।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।