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उत्तराखंड: परेशान हैं तीन बड़े नेता, आखिर क्या है BJP की रणनीति?

Reporter Khabar Uttarakhand
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arvind pandey

देहरादून: भाजपा का हर निर्णय चौंकाने वाला होता है। पुष्कर सिंह धामी को हारने के बावजूद मुख्यमंत्री बना दिया गया। उम्मीद थी कि कैबिनेट में पुराने चेहरों को जगह मिलेगी। जगह मिली भी, लेकिन तीन बड़े चेहरों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। कारण उम्र को बताया जा रहा है, लेकिन उम्र वाली बात सतपाल महाराज के मामले में गलत साबित हो रही है। ऐसे में अब ये नेता भले ही खुलकर कुछ ना कह रहे हों, लेकिन नाराजगी साफ झलक रही है।

बिशन सिंह चुफाल ने नाराजगी भी जाहिर की है। उनका कहना है कि जो भी चर्चाएं सीएम के डीडीहाट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की हो रही हैं। उसके बारे में अब तक उनसे कोई बात नहीं हुई है। साथ ही कहा कि वो विधायक बनकर ही काम करते रहेंगे। चर्चाएं यह भी हैं कि चुफाल से सीट खाली कराकर उनको राज्यसभा भेजा जा सकता है।

कालाढूंगी सीट से सातवीं बार के विधायक बंशीधर भगत पहले तो मुख्यमंत्री की रेस में बताए जा रहे थे। उन्हें प्रोटेम स्पीकर की भी जिम्मेदारी दी गई थी। जब मंत्रीमंडल के लिए विधायकों का शपथ हुआ तो आठ मंत्रियों की सूची में उनका नाम नहीं था। माना जा रहा था कि उनको विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। लेकिन, उनकी यह उम्मीद भी पूरी नहीं हो पाएगी।

सबसे चौंकाने वाला नाम ऊधमसिंह नगर जिले की गदरपुर सीट से पांचवी बार के विधायक अरविंद पांडे भी मंत्रीमंडल में स्थान पाने से वंचित रह गए हैं। पिछली भाजपा सरकार में तेजतर्रार शिक्षा मंत्री रह चुके हैं। पिछली भाजपा सरकार में कुमाऊं से एक और विधायक यशपाल आर्य कैबिनेट मंत्री थे। इस बार वह कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। कैबिनेट मंत्री रह चुके इन तीन विधायकों को मंत्रीमंडल में शामिल न किए जाने को लेकर सस्पेंस बरकरार है।

मंत्रीमंडल में तीन पद रिक्त हैं। ऐसे में इन वरिष्ठ विधायकों को अभी आस है कि आने वाले समय में मंत्री बनाया जा सकता है। बड़ी बात यह है कि अगर सरकार में खाली तीन मंत्री पदों को जल्द नहीं भरा गया तो भाजपा में असंतोष बढ़ सकता है। इस असंतोष को दबाना भाजपा के लिए जरूरी है। सीएम पुष्कर सिंह धामी को छह माह से पहले चुनाव जीतकर आना है। इस लिहाज से पार्टी के सामने असंतुष्टों को संतुष्ट करना जरूरी है।

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