Big News : फर्जी BAMS डाक्टरों की मदद करने वाले तीन कर्मचारी गिरफ्तार, हुआ बड़ा खुलासा - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

फर्जी BAMS डाक्टरों की मदद करने वाले तीन कर्मचारी गिरफ्तार, हुआ बड़ा खुलासा

Basant Nigam
4 Min Read
FAKE BAMS DOCTOR SCAM फर्जी बीएएमएस डाक्टर

FAKE BAMS DOCTOR SCAM फर्जी बीएएमएस डाक्टर

 

उत्तराखंड में फर्जी BAMS डाक्टरों के गिरोह की मदद करने वाले तीन लोगों को देहरादून में गिरफ्तार किया गया है। ये तीनों ही भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के कर्मचारी हैं। इन तीनों पर फर्जीवाड़े में शामिल लोगों की मदद का आरोप है।

आपको बता दें कि हाल ही में राज्य में फर्जी BAMS डाक्टरों के गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। राज्य में तकरीबन तीन दर्जन फर्जी BAMS डाक्टर चिह्नित हुए हैं। इसके बाद पुलिस इस गिरोह से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है। इसी कड़ी में पुलिस को देहरादून में स्थित भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखण्ड के कुछ कर्मचारियों के इस फर्जीवाड़े में लिप्त होने का पता चला। पुलिस ने भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखण्ड (देहरादून) में नियुक्त तीन कर्मचारियो विवेक रावत, अंकुर महेश्वरी और विमल प्रसाद को पूछताछ हेतु थाना नेहरू कॉलोनी देहरादून में बुलाया। ये तीनों सवालों के जवाब नहीं दे पाए। पुलिस ने इसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया।

खुद ही पत्राचार, खुद ही NOC

पुलिस की पूछताछ में तीनों ने बताया कि इन तीनों ने इमलाख के साथ मिलकर फर्जी डिग्रियां बांटी तथा फर्जी रजिस्ट्रेशन किए। इमलाख किसी को बीएएमएस की डिग्री देने के बाद चिकित्सा परिषद में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करता था और सम्बंधित इंस्टीट्यूट के प्रमाण पत्र, लिफाफे आदि हमें सीधे उपलब्ध कराता था, जिस पर हम लोग ही पत्राचार, पता इत्यादि का अंकन, पृष्ठांकन स्वयं ही करते थे, तदोपरांत रजिस्ट्रेशन की प्रति स्वयं ही इमलाख को उपलब्ध करा देते थे। यहाँ पर कनिष्ठ सहायक विमल बिजल्वाण, वैयक्तिक सहायक विवेक रावत व अंकुर महेश्वरी के माध्यम से सारे कागज जमा होते थे। फिर हम लोग ही वेरिफिकेशन फाइल तैयार कर जिस यूनिवर्सटी की डिग्री होती थी, उस यूनिवर्सिटी के लिए एवं जिस राज्य की डिग्री होती थी, उस बोर्ड में भी वेरफिकेशन के लिए फाइल डाक से भेजते थे।

फाइल में हम लोग कुछ न कुछ कमी रखते थे, जिससे यूनिवर्सिटी वाले उक्त फाइल को वापस नही करते थे। डाक से भेजने के कुछ दिन बाद इमलाख कर्नाटक, बिहार और राजस्थान आदि स्थानों पर जाता था और फिर इमलाख कूटरचित तरीके से फर्जी एनओसी तैयार करवाता था, जिसे वह उसी यूनिवर्सिटी के बाहर तथा उसी राज्य से वापस चिकित्सा परिषद के लिए डाक से पोस्ट करता था और जब यही फाइल चिकित्सा परिषद देहरादून में पहुंचती थी तो उस फर्जी एनओसी के आधार पर ही हम उनका रजिस्ट्रेशन चिकित्सा परिषद में करवा देते थे। हम लोगों को इस काम के प्रति वैरिफिकेश व एनओसी के हिसाब से 60,000/- रुपये मिलते थे। इस काम में जो भी पैसे हमे मिलते थे, उसे हम लोग आपस में बाँट लेते थे।

पुलिस ने इन तीनों के घरों से अलग अलग मुहरें और अन्य दस्तावेज बरामद किए हैं। आपको बता दें कि इस मामले में अब तक कुल 11 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। कई और निशाने पर हैं।

Share This Article