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उत्तराखंड : 2021 के वो मनहूस दिन, जिनको कोई नहीं करना चाहेगा याद, हुई थी भारी तबाही

Reporter Khabar Uttarakhand
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cm pushkar singh dhami

cm pushkar singh dhami

देहरादून: हर साल किसी कुछ ना कुछ अच्छा और बुरा गठित होता है। यह जाहिर सी बात है कि हमेशा अच्छा ही अच्छा और बुरा ही बुरा नहीं हो सकता। प्रकृति अपना संतुलन बना ही लेती है। लेकिन, कुछ ऐसे जख्म होते हैं, जिनको चाह कर भी भुलाया नहीं जा सकता। कुछ ऐसी ही जख्म साल 2021 दे गया। कुछ ऐसी घटनाएं हुई, जिन घटनाओं ने कई लोगों की जानें ले ली।

उत्तराखंड आपदा के हिलाज से हमेशा से ही बेहद संवेदनशील रहा है। समय-समय पर बड़ी आपदाएं भी आती रही हैं। बड़ी आपदाओं के अलावा छोटी-छोटी घटनाएं भी होती रहती हैं। इन आपदों में जहां लोगों की मौते होती हैं। वहीं, राज्य को हर साल हजारों करोड़ का नुकसान भी उठाना पड़ता है। अगर साल 2021 की बात करें तो सरकार आंकड़ों के अनुसार राज्यभर में 300 से अधिक लोगों ने आपदा में अपनी जान गंवाईं और 61 से अधिक लोग लापता हुए।

चार दिन बाद हम नए साल 2022 में प्रवेश कर जाएंगे। नए साल से सभी को बेहतर होने की उम्मीदें होती हैं। ये उम्मीदें कितनी पूरी हो पाती हैं, यह तो आने वाला साल ही बता पाएगा। लेकिन, पिछले साल यानी 2021, जिसे हम पीछे छोड़ जाएंगे, उसमें क्या कुछ रहा। उसका हिसाब भी लगाना जरूर है। आपदाओं की बात करें तो इस साल बाढ़, बादल फटने, एवलांच, लैंडस्लाइड और अतिवृष्टि के कारण लोगों को जान गंवानी पड़ी। सड़कों को बुरा हाल हो गया। कई सड़कें ऐसी भी हैं, जिन पर आज तक फिर से यातायात सुचारू नहीं हो पाया है। कुछ जगहों पर नए सिरे से सड़कें बनानी पड़ रही हैं।

सड़कों को दुरुस्त करने में तीन सौ करोड़ से अधिक का बजट खर्च करना पड़ा। सात फरवरी, 2021 को चमोली जिले में हिमस्खलन के बाद ऋषि गंगा में आई भीषण बाढ़ में दो सौ भी अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई थी। कई लापता लोगों का आज तक पता नहीं चल पाया। इस बाढ़ में एक पावर प्रोजेक्ट लगभग पूरी तरह तबाह हो गया था। इस घटना में अब तक 172 मृतकों के मृत्यु प्रामण पत्र जारी किए जा चुके है। 50 लापता लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र अब भी जारी किए जाने हैं।

अक्तूबर में भारी बारिश ने बड़ी तबाही मचाई। इस आपदा में भी 80 से अधिक लोगों की जान चली गई और संपत्ति का बड़ा नुकसान हुआ। मानसून के लौट जाने के बाद प्रदेश में 17, 18 और 19 हुई अतिवृष्टि ने 80 से अधिक लोगों की जान ले ली। लोगों के घर, खेत, सड़कें और पुल बर्बाद हो गए। इस भीषण आपदा में कुमाऊं में गढ़वाल से अधिक नुकसान हुआ। अकेले नैनीताल जिले में ही 36 लोगों की मौत हो गई थी।

इसके अलावा चंपावत में 12, उत्तरकाशी में 10, अल्मोड़ा में 6, बागेश्वर में 6, ऊधमसिंह नगर में 2 पौड़ी में 3, पिथौरागढ़ में 3 और चमोली में भी 3 लोगों की मौतें हुई। इसके अलावा अन्य हादसों में भी बड़ी संख्या में लोगों ने अपनी जाने गंवाई। सड़क हादसों की बाता करें तो हर रोज कोई ना कोई हादसा होता ही रहता है। लेकिन, कुछ बड़े हादसों ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया।

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