बॉलीवुड इंडस्ट्री पर बात की जाए और नेपोटिज्म का मुद्दा ना उठे ऐसा हो नहीं सकता। आए दिन सोशल मीडिया पर नेपोटिज्म के मुद्दे पर बहस छिड़ी रहती है। फिमय इंडस्ट्री में कई ऐसे स्टार्स है जिनकों फिल्मी बैकग्राउंड का फायदा मिला। फिल्म इंडस्ट्री से कनेक्शन होने की वजह से उन्हें बॉलीवुड में एंट्री मिली और वो स्टार्स बन गए।
कलाकारों के लिए सपनों का शहर है मुंबई
मुंबई कलाकारों के लिए सपनों का शहर है। यहां लोग अपनी पहचान बनाने के लिए दूर दूर से आते है। लेकिन कुछ ही लोग अपने सपनों को साकार कर पातें है। फिल्म इंडस्ट्री में ब्रेक पाने के लिए आपके नाम के आगे एक बड़ा सरनाम जैसे कपूर, खान आदि होना जरुरी है।
90% सुपरस्टार का फिल्मी परिवारों से है कनेक्शन
लगभग 90% ‘सुपरस्टार’ परिवारों से ही आते है। ऐसे में इन सब के बीच कुछ ऐसे कलाकार भी है जिन्होंने आउटसाइर होने के बावजूद इंडस्ट्री में अपना नाम इतना ऊंचा कर दिया है की आज वो किसी पहचान के मोहताज़ नहीं है। ऐसे में आज हम उन्हीं आउटसाइडर कलाकारों के बारे में जानेंगे जो किसी फिल्मी बैकग्राउंड के सहारे के बिना अपनी मेहनत और लग्न से उपलब्धिया हासिल की।
अमिताभ बच्चन (Amitabh bachchan)

सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की सफलता तो सब ने देखी है लेकिन इस सफलता के पीछे अभिनेता ने काफी संघर्ष किया है। आज हम उन्हें एक मेगा सुपरस्टार, टीवी शो होस्ट और बेहतरीन एक्टर के तौर पर जानते है। देश में ही नहीं विदेशों में भी अभिनेता अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके है। 1970 के दशक में ज़ंजीर, शोले, दीवार,डॉन, बागबान आदि उनकी सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक है।
सफलता के शिखर में पहुंचना अमिताभ के लिए नहीं था आसान
लेकिन सफलता के शिखर में पहुंचना अमिताभ के लिए आसान नहीं था। फ़िल्मी जगत से किसी भी प्रकार का नाता न होने की वजह से उन्होंने काफी संघर्ष किया और उन्हें कई असफलताओं से भी गुजरना पड़ा। शुरुआत में अमिताभ ने अपनी किस्मत ऑल इंडिया रेडियो में आजमाई लेकिन उनको उनकी आवाज़ के कारण रिजेक्ट कर दिया गया।
मुंबई में रहने के लिए कोई जगह न होने के कारण उन्होंने कई रातें मरीन ड्राइव के किनारे भी बिताई। 1969 में अमिताभ बच्चन को पहली फिल्म “सात हिंदुस्तानी” मिली। बेहतरीन अभिनय के बावजूद फिल्म बॉक्स
ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।

काम पाने के लिए अमिताभ को करना पड़ा संघर्ष
इसके बाद उन्होंने कई और फिल्में की पर वो भी ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाई। जिसके बाद उन्हें वो काम पाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। वर्ष 1969 से 1973 के समय अमिताभ की लगातार 12 फिल्में फ्लॉप हो गईं। लोग उन्हें घर लौट जाने की भी नसीयत दिया करते थे। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और वर्ष 1973 में सुपरहिट ब्लॉकबस्टर फिल्म ज़ंजीर दी। फिल्मी बैकग्राउंड के बिना ही उन्होंने अपनी पहचान बनाई और सदी के महानायक की उपाधि हासिल की।
शाहरुख़ खान (Shahrukh Khan)
अभिनेता शाहरुख़ खान ने भी फिल्म इंडस्ट्री में एक आउटसाइडर के रूप में कदम रखा। बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान ने भी फिल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाने के लिए काफी मेहनत की है। टेलीविजन से अपने करियर की शुरुआत करने वाले शाहरुख़ खान ने फिल्मों में एंट्री फिल्म ‘दीवाना’ से की।

काम मांगने जाते थे किंग खान
इसी फिल्म से उन्होंने अपने आप को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित किया।इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट मेल डेब्यू का भी अवार्ड मिला था। जिसके बाद उन्होंने अभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हो गए। लेकिन इन सब के लिए उन्होंने काफी स्ट्रगल किया।

शुरुआती समय में उन्हें काम मांगना पड़ता था। जब वो काम मांगने जाते तो उन्हें हाइट छोटी है, नाक खराब है, तेज बोलते हो, तुम्हारा रंग सांवला है, तुम हीरो नहीं बन सकोगे आदि बोल कर रिजेक्ट कर दिया जाता था। आज शाहरुख़ को देश ही नहीं बल्कि सुनिया भर में लोग किंग ऑफ़ बॉलीवुड के नाम से जानते है।
नवाज़जुदीन सिद्दीकी (nawazuddin siddiqui)
नवाज़जुदीन सिद्दीकी फिल्म इंडस्ट्री के वर्सटाइल एक्टर्स की लिस्ट में आते है। अपने अभिनय से अपनी पहचान बनाने वाले नवाज़जुदीन का भी इंडस्ट्री में कोई गॉड फादर नहीं है। शक्ल-सूरत में भले ही वो आम भारतीय जैसे दिखते हो लेकिन उनका अदाकारी का हुनर कबीले तारीफ है।

15 साल के लम्बे स्र्टगल के बाद उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई। फिल्मों से पहले वो वॉचमन की नौकरी किया करते थे। 1999 में फिल्म ‘सरफरोश से नवाज़ ने एक छोटे से रोल से अपने करियर की शुरुआत की।
अभिनेता को इंडस्ट्री में पहचान ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में फैजल के रोल से मिली। जिसके बाद उन्हें कई एहम रोल मिलने शुरू हुए। आज इंडस्ट्री में उनका नाम टॉप कलाकारों के बीच लिया जाता है।
मनोज बाजपेयी (Manoj bajpayee)
सत्या’, ‘शूल’, ‘तेवर’, ‘अलीगढ़’ और ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ जैसी फिल्मों में बेहतरीन अभिनय करने वाले मनोज बाजपेयी की किसी फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं आते। मुंबई में एक्टिंग का सपना लिए मनोज ने पेचान बनाने के लिए काफी स्ट्रगल किया है। शुरुआत में वो चौल में रहते थे और दर दर काम के लिए भटकते रहते थे।

स्ट्रगल के दिनों में उनके पास वादा पाव खाने तक के पैसे नहीं होते थे। कई रात उन्हें भूखा सोना पड़ता था। चार साल के संघष के बाद उन्हें महेश भट्ट की टीवी सीरीज़ में काम मिला।
तो वहीं फिल्मों में उन्हें राम गोपाल वर्मा ने फिल्म सत्या में मौका दिया। जिसके बाद मनोज का सिक्का पलटा। आज मनोज हिंदी सिनेमा के दिग्गज सितारों की लिस्ट में आते है। आज वो किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं और उनकी लक्ज़री लाइफ जीते है।