National : चुनावी बॉण्ड योजना की नहीं होगी SIT जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सभी याचिकाएं - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

चुनावी बॉण्ड योजना की नहीं होगी SIT जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की सभी याचिकाएं

Renu Upreti
3 Min Read
There will be no SIT investigation into the electoral bond scheme.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉण्ड योजना की अदालत की निगरानी में जांच के अनुरोध वाली कई याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया। इस मामले में अब SIT की जांच नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा नियम के मुताबिक याचिका स्वीकार करना उचित नहीं है। याचिकाकर्ता हाईकोर्ट जा सकते हैं। याचिका में चंदे के बदले कंपनियो को लाभ का आरोप था। इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को रद्द कर दिया था। क्योंकि इसमें राजनीतिक चंदे को पूरी तरह से अज्ञात कर दिया गया था। 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यह मामला हवाला कांड, कोयला घोटाला की तरह है। इन मामलों में न केवल राजनीतिक दल बल्कि प्रमुख जांच एजेंसियां भी शामिल है। देश के इतिहास में सबसे खराब वित्तीय घोटालों में से एक है।

सीडेआई ने कहा कि सामान्य प्रक्रिया का पालन करें। हमने खुलासा करना का आदेश दिया है। हम एक निश्चित बिंदु तक पहुंच गए हैं। जहां हमने योजना को रद्द कर दिया है। भूषण ने कहा कि इसमें सरकारें शामिल हैं, सत्तारूढ़ दल शामिल है, शीर्ष कॉर्पोरेट घराले शामिल है। प्रशांत भूषण ने दलील देते हुए कहा कि कुछ मामलों में सीबीआई अधिकारी भी शामिल हैं, उनकी भूमिका की जांच होनी चाहिए।

इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी याचिका पर सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से इस डेटा के बारे में सवाल किया था। इसके बाद चुनाव आयोग ने बताया कि उसके पास डेटा की जानकारी नहीं है। इसके बाद चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से डेटा को वापस लौटाने का निर्देश दिया था। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को 2019 और 2023 मे सिलबंद लिफाफे में जानकारी उपलब्ध कराई गई थी। शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी एक और जानकारी अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक की थी। इसमें 763 पेज की दो लिस्ट थी, जिसमें एक में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी थी जबकि दूसरी में बॉन्ड को भुनाने वालों की जानकारी थी।  2022-23 में बीजेपी को छोड़कर सभी बड़े दलों को कम चंदा मिला।

क्या होता है इल्केटोरल बॉन्ड?

इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से कोई संस्थान या कंपनी या व्यक्ति किसी राजनीतिक दल को पैसे चंदे के रुप में दे सकता है। कई कीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड्स उपलब्ध हैं। इसके खरीदने वालों की पहचान गुप्त रखी जाती है। कोई भी राजनीतिक पार्टी बॉन्ड्स मिलने के 15 दिनों के अंदर इसे भुना सकती है। यह बॉन्ड्स सिर्फ पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों को ही दिया जा सकता है।  

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