Big News : 48 सालों तक ना बिजली मिली ना पानी, जानें जमरानी बांध की कहानी - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

48 सालों तक ना बिजली मिली ना पानी, जानें जमरानी बांध की कहानी

Yogita Bisht
3 Min Read
जमरानी बांध

जमरानी बांध परियोजना को सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत मंजूरी दे दी है। लेकिन इस बांध के लिए स्थानीय लोगों ने 48 सालों का लंबा इंतजार किया है। इन 48 सालों में लोगों को ना तो बिजली मिली ना ही पानी। लेकिन लंबे इंतजार के बाद ये सपना साकार होने जा रहा है।

जमरानी बांध परियोजना को मिली मंजूरी

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत जमरानी बांध परियोजना को मंजूरी दे दी गई है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2,584.10 करोड़ रुपये है। जिसमें से 1,557.18 करोड़ रुपये की उत्तराखंड को केंद्रीय सहायता भी मिलेगी। इस परियोजना को साल 2028 तक पूरा किया जाना है।

जमरानी गांव के पास अमृतपुर में बनेगा बांध

आपको बता दें कि ये बांध गौला नदी पर जमरानी गांव के पास अमृतपुर में बनेगा। ये बांध मौजूदा गौला बैराज को पानी उपलब्ध कराएगा। इसकी 40.5 किमी लंबी नहर प्रणाली और 244 किमी लंबी नहर प्रणाली है जो 1981 में पूरी हुई। इस बांध के बनने से भाबर में पानी की कमी दूर हो जाएगी। उत्तराखंड के नैनीताल, ऊधमसिंह नगर के साथ ही इस बांध से उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में भी पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

48 सालों से लोगों को बांध बनने का इंतजार

आपको बता दें कि जमरानी बांध परियोजना पिछले 48 सालों से अधर में लटकी हुई थी। लोगों को बीते 48 सालों से इसके बनने का इंतजार था। बता दें कि हल्द्वानी और इसके आसपास के इलाके में पेयजल संकट दूर करने के लिए साल 1975 में जमरानी बांध परियोजना को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई थी। लेकिन तब से लेकर अब तक ये परियोजना धरातल पर नहीं उतरी। इस बांद के बन जाने से पेयजल संकट दूर होने के साथ ही बिजली उत्पादन और खेतों को सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध होगा।

दो राज्यों के चार जिलों को मिलेगा फायदा

इस बांध से दो राज्यों उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के दो-दो जिलों को फायदा होगा। जमरानी बांध के बन जाने के बाद नैनीताल, ऊधमसिंह नगर और उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में 57 हजार हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई के अलावा हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों को हर साल 42,70 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पीने का पानी मिलेगा।

इसके साथ ही इस बांध से 10.65 लाख से अधिक आबादी लाभान्वित होगी। ये पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध पानी से अलग होगा। इसके साथ ही बांध बनने के बाद 14 मेगावाट बिजली संयंत्र स्थापित कर 63.4 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन किया जाएगा।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।