शनिवार को कार्बेट रेंज से एक बाघिन को लाकर राजाजी के मोतीचूर में शिफ्ट किया गया। लेकिन जिस तरीके से बाघिन को छोड़ने के लिए प्रक्रिया को अपनाया गया उसको लेकर कांग्रेस ने कई सवाल उठाए हैं।
बाघिन के पीछे हाथी दौड़ाने पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
कार्बेट रेंज से बाघिन को लाकर राजाजी के मोतीचूर में शिफ्ट करने के तरीके को लेकर कांग्रेस कई आरोप लगा रही है। कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता आरोप लगाया है कि जिस समय बाघिन को बाड़े से जंगल में छोड़े जाने की प्रक्रिया अपनाई गई उस समय बाघिन घबराई हुई थी। बाघिन जंगल में जाने से बच रही थी।
जिसके बाद बाघिन को भगाने के लिए हाथियों को छोड़ा गया, जो कि सही नहीं है। सवाल वन विभाग के अधिकारियों पर भी उठ रहे हैं कि आखिर क्या वन विभाग के अधिकारी इसमें एक्सपर्ट नहीं है कि जो बाघिन को सही तरह से जंगल मे छोड़े जाने की प्रक्रिया को नहीं अपना पाए।
कांग्रेस के आरोपों पर वन मंत्री ने किया पलटवार
कांग्रेस के आरोपों पर वन मंत्री सुबोध उनियाल पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को बेवजह सवाल उठाने की आदत पड़ गई है। जिस उद्देश्य से बाघिन को शिफ्ट किया गया वह उद्देश्य पूरा हो गया है।
हालांकि ये बात सही है कि बाघिन जंगल में शनिवार शाम 6 या 7 बजे खुद गयी। जिसके बाद अब वन विभाग के अधिकारी रेडियो कॉलर के जरिए भी बाघिन की पूरी निगरानी कर रहे हैं।
वन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
जिस तरीके से बाघिन को शिफ्ट करने की प्रक्रिया को लेकर सवाल उठ रहे हैं, उससे वन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं।
ये सवाल भी उठ रहा है कि आखिरकार केंद्रीय वन मंत्री, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री सुबोध उनियाल की मौजूदगी में एक बाघिन को विभाग को अधिकारी जंगल में नहीं छोड़ पाए वो चिंतनीय विषय है। बताया जा रहा है कि इससे पहले भी कई बार इस तरीके के वाकिये हो चुके हैं जिनसे वन विभाग ने कोई सीख नहीं ले पाया है।
मोतीचूर रेंज को पर्यटन हब बनाना है उद्देशेय
बाघिन को मोतीचूर क्षेत्र में छोड़े जाने का मुख्य उद्देश्य पर्यटन हब को बनाना है। साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ इकोलॉजी और इकोनाजी के संतुलन को बनाए रखना भी है। पर्यावरण संरक्षण और संवर्धन की दिशा में यह कदम बढ़ाया गया।
इनपुट – मनीष डंगवाल