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ऐसे कैसे होगी यात्रा ?, महिलाओं के लिए शौचालय तो बने लेकिन उनमें लगे हैं ताले

Yogita Bisht
3 Min Read
शौचालय में ताले

जनपद मुख्यालय उत्तरकाशी गंगोत्री एवं यमनोत्री धाम का मुख्य पड़ाव हर साल यहां लाखों की संख्या मे तीर्थ यात्री पहुंचते हैं। लेकिन यहां पर महिलाओं को शौचालय के लिए भटकना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि शौचालय बनाए नहीं गए हैं। शौचायल तो बने हैं लेकिन इन सभी में ताले लटके हुए हैं। जिसको देख ये ही सवाल उठ रहा है कि चार धाम यात्रा के इस अहम पड़ाव में महिलाओं के लिए शौचालय खुले ना होने से यात्रा के दौरान भक्तों को कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता होगा।

महिला शौचालयों में लटके हैं ताले

उत्तरकाशी जहां हर साल तीर्थ यात्रियों की भारी भीड़ रहती है। जिला प्रशासन यात्रियों की व्यवस्था के लिए इंतजाम करने मे कोई कोर कसर नही छोड़ता है लेकिन जिला मुख्यालय की नगरपालिका यात्रा की धज्जियां उडा़ने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। नगरपालिका को बने हुए 50 से अधिक साल हो गए हैं और जिला मुख्यालय में अब तक महिलाओं के लिए तीन शौचालयों का निर्माण हुआ है। तीन महिला शौचालय तो बने हैं लेकिन वर्तमान मे तीनों शौचालयों मे ताले लटके हुए हैं।

महिलाओं को होती है परेशानी

शौचालयों पर ताला लगा होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से जिला मुख्यालय आने वाली महिलाओं को परेशान होना पड़ रहा है। आलम ये है कि जिन महिलाओं के शहर में रिशेतदार हैं रहते है वो मजबूरी मे उनके घरों की शरण लेती हैं लेकिन जो गरीब महिलाएं अपने सरकारी काम के लिए यहां आती है मजबूरी मे प्राइवेट कम्पनी के शुलभ शौचालय के मनमाने दामों पर शौचालय का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं या फिर खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं।

स्वचछ भारत अभियान की धज्जियां उड़ा रही नगर पालिका

जनपद मुख्यालय उत्तरकाशी की नगर पालिका प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वचछ भारत अभियान की धज्जियां उड़ा रही है। उत्तराकाशी चार धाम यात्रा का एक पड़ावों में से एक है। यहां पर महिलाओं के लिए शौचालय ना होने के कारण महिला यात्रियों को यात्रा के दौरान कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

शौचालयों में ताला लगा होने के कारण लोगों में आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन शौचालयों मे कौन सा खजाना छुपा है जो नगरपालिका ने इन पर ताला लगाया हुआ है। जिस पर नगर पालिका का कहना है कि कर्मचारियों के आभाव मे शौचलय मे गंदगी होती है इसलिए ताले लगाए गए हैं।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।