आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में एक ऐसा गांव है जहां के लोग सालों से वैदिक परंपरा के अनुसार रह रहे हैं। इस गांव का नाम कुर्मा है। यहां के लोगों की जीवनशैली आज भी पारंपरिक है। यहा के लोग गुरुकुल परंपरा को मानते हैं। खेती भी ग्रामीण पुराने तरीके से करते हैं। खेती के लिए मशीन और कैमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है।
लोहे व सीमेंट के नहीं है घर
कुर्मा गांव में मिट्टी, रेत और चूने से बने घर देखे को मिल जाएंगे। यहां घर बनाने के लिए रेत में नींबू, गुड़ सहित अन्य चीजें मिलाई जाती है। इन्हीं की मदद से दीवारों की जुड़ाई होती है। घर बनाने में लोहे का या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं होता है।
गांव में बिजली, टीवी, फोन नहीं
साल 2018 में अतंर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना सोसायटी के संस्थापक भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद और उनके शिष्यों ने यहां अपनी कुटिया स्थापित की है। इनकी ओर से शाम को आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। रामायण, वेद-पुराण सहित अन्य हिंदू ग्रंथों के बारे में लोगों को जानकारी दी जाती है। यहां के छात्र तेलुगु, संस्कृत, अंग्रेजी और हिंदी में पारंगत है। गांव में बिजली नहीं है। पंखे, टीवी और फोन का इस्तेमाल गांव के लोग नहीं करते हैं।
यहां रहने पर करना होता है नियमों का पालन
इस गांव में आवास और भोजन निशुल्क है। जो लोग यहां रहना चाहते हैं उन्हें यहां के नियमों का पालन करना होता है। महिलाओं को अकेले रहने की इजाजत नहीं है। यदि वे अपने माता-पिता पति या भाईयों के साथ आती हैं तो उन्हें रहने की अनुमति है। जब तक कोई आश्रम में रहता है, उसे सुबह 3.30 बजे उठना होता है और दिव्य पूजा करनी होती है। सुबह भजन व प्रसाद ग्रहण करने के बाद वो अपने दैनिक काम में लग जाते हैं।