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Patal Bhuvaneshwar में है दुनिया के खत्म होने का राज, यहां है 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास

Yogita Bisht
4 Min Read
पाताल भुवनेश्वर patal bhuvneshwar

Patal Bhuvaneshwar उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। यहां आज भी श्री गणेश का कटा हुआ सर रखा हुआ है। जहाँ है स्वर्ग जाने का मार्ग है। यहां के बारे में कहा जाता है कि पाताल भुवनेश्वर में तैंतीस कोटि देवी देवता निवास करते हैं।

पिथौरागढ़ में स्थित है Patal Bhuvaneshwar

पाताल भुवनेश्वर जिसका शाब्दिक अर्थ है भगवान शिव का उप-क्षेत्रीय तीर्थस्थान। ये तीर्थस्थान एक गुफा मंदिर है जिसे सुंदरता और रहस्यों का एक बेजोड़ नमूना कहा जा सकता है। Patal Bhuvaneshwar नामक ये गुफा विशालकाय पहाड़ी से करीब 90 फिट नीचे है। इस मंदिर की मान्यताओं के अनुसार यह गुफा मंदिर त्रेतायुग में राजा ऋतुपूर्ण के द्वारा खोजा गया था।

Pithoragarh

द्वारपरयुग में पांडवों ने यहाँ शिवजी के साथ चौसर (चौपड़) खेला और कलियुग में जगत गुरु शंकराचार्य जी को आठवीं शताब्दी में इस गुफा का साक्षात्कार हुआ जिसके बाद उन्होंने यहां तांबे के शिवलिंग की स्थापना की। स्कंदपुराण के अनुसार यहाँ भगवान् शिव खुद निवास करते हैं और अन्य देवी-देवता उनकी पूजा करने यहां आते हैं।

चार द्वारों वाला है पाताल भुवनेश्वर मंदिर

पुराणों के अनुसार पाताल भुवनेश्वर मंदिर के चार दरवाज़े हैं रणद्वार, पापद्वार, धर्मद्वार और मोक्षद्वार है। बताया जाता है कि जब रावण मरा था तो पापद्वार का दरवाजा बंद हो गया। कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत के बाद रणद्वार को भी बंद कर दिया गया। अब यहां केवल दो द्वार धर्मद्वार और मोक्षद्वार ही खुले हुए हैं।

Pithoragarh

कई रहस्य छिपाए बैठा है ये गुफा मंदिर

Patal Bhuvaneshwar मंदिर में प्रवेश करने के लिए बेहद संकरे रास्ते से गुज़रना पड़ता है। गुफा के अंदर पहुंचते ही स्वागत करते हैं फन फैलाए शेषनाग जिनके लिए कहा जाता है कि उन्होंने अपने सिर के ऊपर पूरी दुनिया का भार उठा रखा है और उन्हीं की रीढ़ पर चल कर ही आगे का सफर तय किया जाता है।

Pithoragarh

शेषनाग के साथ यहां वासुकि और तक्षक नाग भी यहां मौजूद हैं। कहा जाता है कि इसी के पास शेषावती गुफा भी है जो इच्छाधारी नागों का निवास स्थान माना जाता है। थोड़ा आगे चलते ही चट्टान पर 100 पैरों वाला ऐरावत हाथी दिखाई देता है। यहां शिव की जटाएं भी विराजमान हैं जिनसे गंगा धरती पर आई थी।

गणेश का कटा हुआ सिर है यहां मौजूद

ऋषि मार्कण्डेय के साथ-साथ कई अन्य ऋषियों की तपस्थली भी यहां देखी जा सकती है पास ही में कल्पवृक्ष भी विराजमान है। थोड़ी ही दूरी पर विराजमान है वो स्थान जहाँ मौजूद है भगवान गणेश का कटा हुआ सिर है। जिसके ठीक ऊपर ब्रह्मकमल है जिससे दिव्य बूंदे श्री गणेश के मस्तक पर टपकती रहती हैं।

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Patal Bhuvaneshwar में है दुनिया के खत्म होने का राज

भगवान गणेश का कटा हुआ सिर के पास ही छिपा हुआ है दुनिया के खत्म होने का रहस्य। यहां चारों युगों के प्रतीक मौजूद हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन कलियुग का प्रतीक पत्थर दीवार से टकरा जाएगा उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा।

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गुफा के अंदर ही भगवान विष्णु, यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश और गरूड़ की शिलारूपी मूर्तियां हैं। साथ ही यहां कामधेनु गाय का थन और मुड़ी गर्दन वाला गौड़(हंस) भी दिखाई देता है। कहा जाता है कि यहां वह गुफा भी मौजूद है जिससे युधिष्ठिर जीवित स्वर्ग पहुंचे थे।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।