National : गाड़ी से उतरी ही थी पुलिस कि छतों से होने लगी थी अंधाधुंध फायरिंग, जानिए हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का इतिहास - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

गाड़ी से उतरी ही थी पुलिस कि छतों से होने लगी थी अंधाधुंध फायरिंग, जानिए हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का इतिहास

Reporter Khabar Uttarakhand
3 Min Read
ankita lokhande

ankita lokhandeउत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के गांव बिकरू में हिस्ट्रीशीटर के साथ हुई मुठभेड़ में DSP सहित 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गये। बीती रात पुलिस यूपी के हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गयी थी। इस दौरान फायरिंग शुरू हो गयी, जिसमें डीएसपी और 3 सब इंस्पेक्टर सहित 8 जवान शहीद हो गये। हालांकि इस दौरान हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के 2 गुर्गों को भी मार गिराया गया है।

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे का बड़ा आपराधिक इतिहास है. साल 2001 में उसके खिलाफ बीजेपी नेता की हत्या का भी मामला दर्ज हुआ था लेकिन इस मामले में उसको सजा नहीं हो पाई थी. हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे वर्ष 2001 में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला हत्याकांड का मुख्य आरोपी है। वर्ष 2000 में कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या में भी विकास का नाम आया था। कानपुर के शिवली थानाक्षेत्र में ही वर्ष 2000 में रामबाबू यादव की हत्या के मामले में विकास पर जेल के भीतर रहकर साजिश रचने का आरोप है। वर्ष 2004 में केबिल व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी है। 2001 में कानपुर देहात के शिवली थाने के अंदर घुस कर इंस्पेक्टर रूम में बैठे तत्कालीन श्रम संविदा बोर्ड के चैयरमेन, राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त भाजपा नेता संतोष शुक्ल को गोलियों से भून दिया था। कोई गवाह न मिलने के कारण केस से बरी हो गया।

इस चुनाव में हरिकृष्ण श्रीवास्तव विजयी घोषित हुए थे। विजय जुलूस निकाले जाने के दौरान दोनों प्रत्याशियों के बीच गंभीर विवाद हो गया था। जिसमें विकास दुबे का नाम भी आया था और उसके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ था। यहीं से विकास की भाजपा नेता संतोष शुक्ला से रंजिश हो गई थी। इसी रंजिश के चलते 11 नवंबर 2001 को विकास ने कानपुर के थाना शिवली के अंदर संतोष शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

एक बार जिला पंचायत सदस्य भी चुना गया

भारतीय राजनीति में अपराधियों और नेताओं का गठजोड़ कोई नई बात नहीं है. विकास  दुबे 90 के दशक में जब इलाके में एक छोटा-मोटा बदमाश हुआ करता था तो पुलिस उसे अक्सर मारपीट के मामले में पकड़कर ले जाती थी. लेकिन उसे छुड़वाने के लिए स्थानीय रसूखदार नेता विधायक और सांसदों तक के फोन आने लगते थे. विकास दुबे को सत्ता का संरक्षण भी मिला और वह एक बार जिला पंचायत सदस्य भी चुना जा चुका था. उसके घर के लोग तीन गांव में प्रधान भी बन चुके हैं.

Share This Article