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शुक्रिया : बचना मुश्किल पर खुशी है कि बच्चों से मिल सकूंगी

Reporter Khabar Uttarakhand
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Breaking uttarakhand news

Breaking uttarakhand newsमुंबई में फंसी मौत की शैया पर लेटी बिहार की बंदना की आखिरी ख्वाहिश अब पूरी होती नजर आ रही है। कैंसर की बीमारी से जूझ रही बंदना की अंतिम इच्छा यही थी कि वो बिहार जाकर अपने बच्चों को एक बार देख सकें, उनसे मिल सकें। हालांकि, बिहार से मुंबई अपनी पत्नी का इलाज कराने आए बंदना के पति अतुल श्रीवास्तव के पास इतने पैसे नहीं बचे थे कि वो वापस अपनी पत्नी को एंबुलेंस में बिहार लेकर जा सकें। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने उनके इस हाल को लेकर 10 मई को एक स्टोरी की। जिसका काफी असर हुआ और जिस तरह से मुंबईवासियों ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया, उसके बाद बंदना को इस बात का सुकून हो गया है कि वो अब अपने बच्चों को देख सकेंगी।

NBT की रिपोर्ट के अनुसार कैंसर की बीमारी से जूझ रही 35 वर्षीय बंदना को लेकर उनके पति अतुल श्रीवास्तव 9 मार्च को मुंबई आए थे। परेल में केईएम अस्पताल में बंदना का इलाज शुरू हुआ, हालांकि, जल्दी ही डॉक्टरों ने बता दिया कि बंदना की हालत बेहद गंभीर है और उनके बचने की संभावना बेहद कम है। ऐसे में उन्हें अपने घर वापस लौट जाना चाहिए।कपड़े का व्यवसाय करने वाले अतुल ने बताया उन्हें करीब एक साल पहले अपनी पत्नी की बीमारी का पता चला। उन्होंने बंदना को बचाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। करीब 10 लाख रुपये इलाज में खर्च कर दिए।

पूरी जमा-पूंजी खर्च होने के बाद अतुल के पास महज तीन हजार रुपये ही बचे थे। ऐसे में वो पत्नी की आखिरी ख्वाहिश भी पूरी करने की स्थिति में नहीं थे। इस बीच मौत की शैया पर लेटी पत्नी उन्हें बचाने के लिए जान झोंक देने वाले पति के आंसू पोंछती हुई दिखाई दी।मुंबई के परेल स्थित एक छोटे से कमरे में रूके अतुल और बंदना श्रीवास्तव को लेकर हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने 10 मई को एक स्टोरी की। इसमें उनकी आर्थिक स्थिति और बंदना की अपने बच्चों को देखने की आखिरी इच्छा का जिक्र भी किया गया। मुंबई के लोगों ने अतुल और बंदना की दिल खोलकर मदद के लिए हाथ बढ़ा दिया। मुंबईवासियों ने अतुल श्रीवास्तव को न केवल पैसों से मदद किया, बल्कि बिहार जाने के लिए एंबुलेंस भी मुहैया कराई। सेंट्रल रेलवे और मुंबई रेलवे विकास कॉरपोरेशन के अधिकारी और कई स्थानीय लोग भी पहुंचे। उन्होंने इस दंपती को आर्थिक सहायता मुहैया कराई।

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