इन दिनों देश के दक्षिणी राज्यों में Monkey Fever से कई लोग जूझ रहे हैं। ये बड़ी समस्या है और इसके सबसे ज्यादा केस कर्नाटक राज्य में सामने आ रहे हैं। कब ये मंकी फीवर दक्षिणी राज्यों से उत्तरी राज्यों में आ जाए इसका डर भी आमजन में सताने लगा है। अभी तक इसके 100 से ज्यादा मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 2 लोगों की मौत मंकी फीवर से हो चुकी है। कई मेडिकल रिपोर्ट से मिली जानकारी के आधार पर आइये जानते है मंकी फीवर क्या होता है।
क्या है Monkey Fever?
मंकी फीवर को क्यासानूर फॉरेस्ट डिजीज (केएफडी) भी कहा जाता है। ये संक्रमण जानवरों से इंसानों में फैल सकता है। और सबसे ज्यादा इसके फैलने के चांसेज जंगली इलाकों में रहने वाले लोग, जहां पर बंदरों की आबादी अधिक होती है वहां पर हो सकते हैं। दरअसल, बंदरों के शरीर में पाए जाने वाले टिक्स (किलनी) के काटने से इसके इंसानों में फैलने का खतरा रहता है। हालांकि भी तक संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में इसके संक्रमण के फैलने के कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं।
मंकी फीवर के लक्षण
- मंकी फीवर में अचानक से बुखार और अन्य लक्षण शुरू हो सकते हैं।
- संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड तीन दिनों से लेकर एक सप्ताह तक हो सकता है।
- शुरुआत की स्थिति में बुखार के साथ, ठंड लगने, सिरदर्द और गंभीर थकावट की समस्या हो सकती है।
- जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है इसके लक्षणों में मतली, उल्टी, पेट दर्द, दस्त, भ्रम की समस्या का खतरा भी हो सकता है।
- कुछ स्थितियों में इसके कारण रक्तस्राव की दिक्कत जैसे नाक और मसूड़ों से खून आने का खतरा रहता है।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मंकी फीवर की समस्या पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो इसके कारण ऑर्गन फेलियर तक की समस्या का भी खतरा हो सकता है।
क्या है मंकी फीवर का इलाज
- स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, मंकी फीवर के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, रोगी के लक्षणों को ठीक करने के लिए डॉक्टर सहायक चिकित्सा प्रदान करते हैं।
- जिन क्षेत्रों में मंकी फीवर का खतरा अधिक होता है या एंडेमिक इलाकों में संक्रमण से बचाव के लिए टीके दिए जाते हैं।
- इसके अलावा सुरक्षात्मक कपड़े पहनने, टिक्स से बचाव करते रहना और प्रभावित क्षेत्रों में यात्रा से बचने जैसे कुछ उपायों का पालन करके इस गंभीर रोग के खतरे से बचाव किया जा सकता है।