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साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाए कई बड़े फैसले, पढ़े यहां

Renu Upreti
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What decision did the Supreme Court give in favor of mineral rich states?

साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने कई अहम फैसले सुनाए हैं। इन फैसलों पर पूरी दुनिया की नजर रही है। अनुच्छेद 370 से लेकर सेम सैक्स मैरिज तक कोर्ट ने जो अहम टिप्पणियां की, जिस तरह से उन पर गहन मंथन के बाद फैसला सुनाया, उसने देश की सियासत से लेकर एक आम नागरिक की जिंदगी पर भी असर डालने का काम किया है।

अनुच्छेद 370 पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 2023 में जम्मू-कश्मीर के अनुच्छेद 370 को लेकर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने केंद्र सरकार के 2019 वाले फैसले पर पूरी तरह अपनी मुहर लगाई है। इस बात पर भी जोर दिया है कि जम्मू कश्मीर के पास भारत में विलय के बाद आंतरिक संप्रभुता का अधिकार नहीं बचता था। कोर्ट ने केंद्र की उस दलील को भी माना था जहां कहा गया कि 370 असल में एक अस्थाई प्रावधान था और उसका हटना जरूरी था।

सेम सैक्स मैरिज को वैधता नहीं

सेम सैक्स मैरिज पर इस साल 17 अक्टूबर क सुप्रीम कोर्ट ने एक जरुरी फैसला सुनाया था। उस फैसले में कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था जहां पर सेम सैक्स शादी के लिए कानूनी वैधता की मांग की गई थी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायधीशों की संविधान बेंच ने 3-2 बहुमत से अपना फैसला सुनाया था। साफ कहा गया है कि इस प्रकार की अनुमति सिर्फ कानून के जरिए ही मिल सकती है और कानून बनाने का अधिकार कोर्ट के पास नहीं।

तमिलनाडु के जल्लीकट्टू को कानूनी वैधता

तमिलनाडु के खेल जल्लीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया था। कोर्ट ने एक फैसले में इसे कानूनी रूप से वैध माना था और खेल को लेकर राज्य सरकार जो कानून लाई थी, उसका भी समर्थन किया गया। कोर्ट ने अपने आदेश में माना था कि राज्य सरकार ने अपने नए कानून में पशु क्रूरता के हर बिंदु पर ध्यान दिया था।

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर बड़ा फैसला

देश में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कौन करेगा, इसे लेकर सुप्रीम कर्ट ने इस साल मार्च में एक अहम फैसला सुनाया था। एक तीन सदस्यों की कमेटी का गठन किया गया था, उसमें पीएम, नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई को शामिल किया गया था। लेकिन उस आदेश के बाद 10 अगस्त को केंद्र ने संसद में जो बिल पेश किया, उसमें एक बड़ा बदलाव देखने को मिल गया। तब भी तीन सदस्यों की कमेटी जरुर बनाई गई, लेकिन केंद्र सरकार एक बिल लेकर आई थी। उस बिल में तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाने की बात हुई, जिसमें पीएम से लेकर नेता प्रतिपक्ष को शामिल किया गया। लेकिन इसमें सीजेआई को बाहर कर दिया गया जिस वजह से बड़ा विवाद शुरु हो गया।

दिल्ली में अधिकारों की लड़ाई पर फैसला

दिल्ली में अधिकारों की लड़ाई का मामला अभी नहीं सुलझा है लेकिन इस साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को बड़ी जीत मिली थी। तब सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर का अधिकार एलजी नहीं जनता द्वारा चुनी सरकार के पास ही रहेगा। फैसले में कोर्ट ने साफ कहा था कि अगर किसी राज्य में एक्जिक्युटिव पॉवर केंद्र और राज्य के बीच बंटी भी होती है, उस स्थिति में ये ध्यान रखा जाना चाहिए कि केंद्र कहीं राज्य के कामकाज पर हावी न हो जाए। इसे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ बताया गया था। ये अलग बात है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक अध्यादेश लेकर आई थी और अधिकारियों की पोस्टिंग में एलजी की भूमिका फिर तय हो गई।

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