National : सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1967 का फैसला, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक है या नहीं नियमित पीठ बताएगी - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 1967 का फैसला, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक है या नहीं नियमित पीठ बताएगी

Renu Upreti
3 Min Read
Supreme Court reverses 1967 decision, regular bench will tell whether Aligarh Muslim University is a minority or not

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पंसख्यक दर्जे को लेकर दिए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 1967 में अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य मामले में दिए अपने ही फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई संस्थान कानून के तहत बना है तो भी वह अल्पसंख्यक संस्थान ने का दावा कर सकता है। अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय का अल्पंसंख्यक दर्जा बरकरार रहेगा या नहीं, इसका फैसला नियमित पीठ करेगी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की संवैधानिक पीठ ने 4-3 बहुमत से यह आदेश दिया।

1967 का पलटा फैसला

दरअसल, साल 2006 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक नहीं माना था। उच्च न्यायलय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिस पर सुनवाई के दौरान साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने मामले को सात जजों की पीठ के पास भेज दिया था। सुनवाई के दौरान सवाल उठा था कि क्या कोई विश्वविद्यालय, जिसका प्रशासन सरकार द्वारा किया जा रहा है, क्या वह अल्पसंख्यक संस्थान होने का दावा कर सकता है? इस मामले पर सुनवाई पूरी कर सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की पीठ ने भी 1 फरवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साल 1967 के फैसले को पलटते हुए स्पष्ट कर दिया कि कानून द्वारा बनाए गए संस्थान को भी अल्पसंख्यक दर्जा मिल सकता है। हालांकि अंतिम फैसले के लिए पीठ ने मामले को नियमित पीठ के पास भेज दिया है।

1967 में खारिज किया था अल्पसंख्यक दर्जा

साल 1967 में अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने भी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा खारिज कर दिया था। हालांकि साल 1981 में सरकार ने एएमयू एक्ट में संसोधन कर विश्वविद्यालय का अल्पंसंख्यक संस्थान का दर्जा फिर से बरकरार कर दिया गया था। अपने 1967 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जो संस्थान कानून के मुताबिक स्थापित किया गया है, वह अल्पसंख्यक संस्थान होने का दावा कर सकता है।  मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ में से खुद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेडी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने संविधान के अनुच्छेद 30 के मुताबिक अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक संस्थान के दर्जे के कायम रखने के पक्ष में तर्क दिए। पीठ में शामिल जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने विपरीत तर्क दिए।  

Share This Article