Highlight : उत्तराखंड में है ऐसा मंदिर जहां होता है पांच पुश्तों का भी न्याय, यहां है मां कोटगाड़ी का दरबार - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

उत्तराखंड में है ऐसा मंदिर जहां होता है पांच पुश्तों का भी न्याय, यहां है मां कोटगाड़ी का दरबार

Yogita Bisht
3 Min Read
कोटगाड़ी देवी

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ की खूबसूरत वादियों के बीच पांखू गाव में बसा है मां कोटगाड़ी का एक ऐसा दिव्य धाम जहां हर किसी को न्याय मिलता है। आप सबने न्याय के देवता गोलू के बारे में तो सुना ही होगा ठीक उसी तरह कुमाऊं के पिथौरागढ़ क्षेत्र में भी एक देवी है जो न्याय के लिए जानी जाती है। जिनके दरबार में जाके पांच पुश्तों का भी न्याय होता है।

कौन हैं देवी कोटगाड़ी ?

कोटगाड़ी देवी को माता भगवती का स्वरुप माना जाता है। यहां मां भगवती वैष्णवी रुप में पूजी जाती है ऐसा कहा जाता है जैसे चितई के गोलू देव अन्याय से पीड़ित लोगों को न्याय दिलाते हैं वैसे ही पांखू की कोटगाड़ी देवी भी लोगों को न्याय देती है।

KOTGARI MAIYYA

ऐसा कहा जाता है माता कोटगाड़ी के मुख्य सेवक भंडारी ग्वल्ल हैं। माता कोटगाड़ी को यहां सात्विक भोग ही लगता है और जब भी किसी की मनोकामना पूरी होती है तो माता कोटगाड़ी के दरबार में अठवार और बलि चढ़ाई जाती है लेकिन ये बली माता कोटगाड़ी को नहीं चढ़ती ये माता के सेवक ग्वल्ल और भैरव के थानों में दी जाती है। हालांकि अब बलि प्रथा को समाप्त कर दिया गया है।

KOTGARI MAIYYA

 मां के दरबार को कहा जाता है पहाड़ का सुप्रीम कोर्ट

माता कोटगाड़ी के दरबार में लोग न्याय के लिए न्यायालयों से दिए गए निर्णयों को स्टांप पेपर में लिखकर यहां जमा करते है और पहाड़ के लोगों का भोलापन कहें या आस्था आज के आधुनिक दौर में भी यहां के लोग न्यायालयों से ज्यादा विश्वास कोटगाड़ी देवी पर करते हैं। इसलिए ही इसे पहाड़ का सुप्रीम कोर्ट भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि मां कोटगाड़ी न्याय की प्रत्यक्ष देवी है। स्थानीय लोग बताते हैं कि प्राचीन समय मे उस पूरे क्षेत्र मे फैसले ही मां के दरबार में ही होते थे । 

KOTGARI MAIYYA

पांच पुश्त का भी न्याय होता है इस दरबार में

लोगों का यहां तक मानना है की कोटगाड़ी देवी के इस धाम में पांच पुश्त पहले दिए अन्यायपूर्ण फैसलों पर भी सुनवाई होती है। इसके साथ ही लोगों का उनका मानना है की उन्हें कहीं से न्याय मिले ना मिले लेकिन माता के दरबार में जरुर उनका फैसला होगा माता कोटगाड़ी जरूर उन्हें न्याय देगी।

KOTGARI MAIYYA

क्यों ढकी हुई है माता कि प्रतिमा

लोक मान्यता के मुताबिक बताया जाता है कि यहां देवी कोटगाड़ी की मूर्ति में योनि साफ-साफ उकेरी गई है। जिस वजह से यहां माता की मूर्ति को ढक कर रखा जाता है। कोटगाड़ी माता के धाम में माता के अलावा सूरजमल और छुरमल देवता भी पूजे जाते हैं। हर साल चैत्र और अश्विन मास की अष्टमी को और भादों में ऋषि पंचमी को माता कोटगाड़ी के धाम में मेला लगता है।

Share This Article
Follow:
योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।