Health : क्या है Multiple Myeloma? जिससे पीड़ित थीं Sharda Sinha, जानें इसके शुरुआती संकेत - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

क्या है Multiple Myeloma? जिससे पीड़ित थीं Sharda Sinha, जानें इसके शुरुआती संकेत

Uma Kothari
3 Min Read
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फेमस लोक गायिका पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) अब इस दुनिया में नहीं रही। छठ पुजा के पहले ही दिन यानी पांच अक्टूबर को सिंगर का निधन (Sharda Sinha Death) हो गया।

अस्पताल की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि 72 साल की सिंगर की मौत रिफ्रैक्टरी शॉक (refractory shock) के कारण सेप्टीसीमिया से हुई है। बता दें कि बीते महीने उन्हें एम्स के कैंसर संस्थान में भर्ती करवाया गया था। खबरों की माने तो वो मल्टीपल मायलोमा (Multiple Myeloma) नाम की बीमारी से पीड़ित थी। ऐसे में चलिए जानते है कि क्या ये है मल्टीपल मायलोमा और इसके शुरुआती संकेत।

क्या है मल्टीपल मायलोमा? (What is Multiple Myeloma)

लोक गायिक शारदा सिन्हा मल्टीपल मायलोमा नाम की बीमारी से पीड़ित थीं। ये एक प्रकार का ब्लड कैंसर है। इससे जूझ रहे लोगों की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। ये उन कोशिकाओं को प्रभावित करती हैं जिससे इम्यून सिस्टम, किडनी और हड्डी पर असर पड़ता है। ये अस्थि मज्जा का प्लाज्मा कैंसर है। एक्सपर्ट्स की माने तो ये बढ़ती उम्र के साथ होता है। इससे वहाइट ब्लड सेल्स प्रभावित होते हैं।

कैसे हैं इसके संकेत? (Multiple Myeloma Symptoms)

मल्टीपल मायलोमा के शुरुआती संकेतों की बात करें तो इससे पीड़ित व्यक्ति को हड्डियों में दर्द, रीढ़ की हड्डी और छाती में दर्द आदी दिखाई दे सकता है। इसके साथ ही कमजोरी के साथ इम्यून सिस्टम भी वीक होने लगता है। जिससे बार-बार इंफेक्शन हो सकता है। खून की कमी और प्लेटलेट डाउन आदि भी इसके लक्षण में शामिल है।

क्या है इलाज? (Multiple Myeloma Treatment)

इसके इलाज के लिए कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट आदि थेरेपी की जाती है। इससे बीमारी के खतरे को कंट्रोल किया जाता है। साथ ही दर्द को कम करने और हड्डियों को मजबूत करने के लिए दवाओं का सेवन किया जाता है। कई केसिस में हड्डियों की सर्जरी भी की जाती है।

जानें कितनी है खतरनाक? (Is Multiple Myeloma Dangerous)

हेल्थ एक्सपर्ट्स की माने तो 40 से 50% लोगों का केवल पांच साल ही इस बीमारी के चलते सर्वाइवल रेट है। तो वहीं 85% लोगों की एक साल के भीतर ही मौत हो जाती है। अगर जल्द ही इस बिमारी का पता चल जाए तो 30% लोग 10 साल तक भी जीए हैं।


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