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बड़ी खबर : दो ट्रेनों को भिड़ने से बचाया, रेल मंत्री भी थे सवार, ये है पूरा मामला

Reporter Khabar Uttarakhand
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# Uttarakhand Assembly Elections 2022

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रेलवे में हादसे होते रहते हैं। इनमें कई हादसे ट्रेनों के टकराने के भी होते हैं। इस तरह टक्करों को रोकने के लिए रेलवे लगातार सुरक्षा के इंतजाम कर रही है। भारतीय रेलवे के सुरक्षा इतिहास में आज का दिन खास रहा। दो ट्रेनों को चंद मीटर के फासले से भिड़ने से रोक दिया गया। यह रेलवे की नई स्वदेशी सुरक्षा तकनीक है और इस कवच नाम दिया गया है।

जिस वक्त यह ट्रायल किया, उस वक्त रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी ट्रेन में मौजूद थे। कवच ने सामने से आ रही ट्रेन की भिड़ंत से पूर्व रेल मंत्री की ट्रेन को 380 मीटर पहले ही रोक दिया। तेलंगाना के सिकंदराबाद में ट्रेनों के बीच कवच का परीक्षण किया गया। एक ट्रेन के इंजन पर रेल मंत्री वैष्णव सवार थे तो सामने से आ रही दूसरी ट्रेन में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और दूसरे बड़े अधिकारी सवार थे।

रेल मंत्री ने इस परीक्षण का एक मिनट का वीडियो साझा किया है। इसमें इंजन के कैबिन में रेल मंत्री वैष्णव व अन्य अधिकारी दिखाई दे रहे हैं। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वीट किया, रियर-एंड टक्कर परीक्षण सफल रहा है। कवच ने अन्य लोको से 380 मीटर पहले लोको को स्वचालित रूप से रोक दिया। कवच ऐसी स्वदेशी तकनीक है, जिसके इस्तेमाल से दो ट्रेनों की टक्कर रोकी जा सकेगी। यह दुनिया की सबसे सस्ती रेल सुरक्षा तकनीक है। जीरो ट्रेन एक्सीडेंट के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस कवच का विकास किया गया है।

ऐसे काम करता है कवच

  • यह स्वदेश में विकसित स्वचलित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है। कवच को एक ट्रेन को रोकने के लिए बनाया गया है।
  • जब डिजिटल सिस्टम को रेड सिग्नल या फिर किसी अन्य खराबी जैसी कोई मैन्युअल गलती दिखाई देती है, तो इस तकनीक के माध्यम से संबंधित मार्ग से गुजरने वाली ट्रेन अपने आप रुक जाती है।
  • इस तकनीक को लागू करने के बाद इसके संचालन में 50 लाख रुपये प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा।
  • यह दूसरे देशों की तुलना में बहुत कम है। दुनिया भर में ऐसी तकनीक पर करीब दो करोड़ रुपये खर्च आता है।
  • इस तकनीक में जब ऐसे सिग्नल से ट्रेन गुजरती है, जहां से गुजरने की अनुमति नहीं होती है तो इसके जरिए खतरे वाला सिग्नल भेजा जाता है।
  • लोको पायलट अगर ट्रेन को रोकने में विफल साबित होता है तो फिर श्कवचश् तकनीक के जरिए से अपने आप ट्रेन के ब्रेक लग जाते हैं और हादसे से ट्रेन बच जाती है।
  • कवच तकनीक हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन पर काम करती है। साथ ही यह SIL-4 (सिस्टम इंटिग्रेटी लेवल-4) की भी पुष्टि करती है। यह रेलवे सुरक्षा प्रमाणन का सबसे बड़ा स्तर है।

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