Big News : सामने आई जोशीमठ में भू-धंसाव की असली वजह, NHI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

सामने आई जोशीमठ में भू-धंसाव की असली वजह, NHI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Yogita Bisht
3 Min Read
JOSHIMATH NEW

जोशीमठ में हो रहा भूधंसाव उत्तराखंड के लिए ही नहीं पूरे देश के लिए चिंता बन गया है। लगातार हो रहे भूधंसाव को देखते हुए कई संस्थानों द्वारा जोशीमठ का सर्वे किया गया। जिनकी रिपोर्ट इसी हफ्ते हाईकोर्ट के आदेश के बाद सार्वजनिक की गई हैं। इसी में से एक एनएचआई की रिपोर्ट भी थी। जिसमें जोशीमठ के धंसने की असली वजह सामने आई है।

सामने आई जोशीमठ में भू-धंसाव की असली वजह

जोशीमठ में जनवरी 2023 में भू-धंसाव ने लोगों को अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। लगातार हो रहे भू-धंसाव ने सभी को चिंता में डाल दिया। हाल में सार्वडजनिक की गई जोशीमठ धू-धंसाव के भूगर्भीय सर्वे की रिपोर्टों ने कुछ हद तक इसकी वजह को साफ कर दिया है। एनएचआई की रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ में पहाड़ के धंसने के पीछे का कारण अक्तूबर 2021 में आई भारी बारिश और विनाशकारी बाढ़ थी।

2021 की तेज बारिश और बाढ़ से शुरू हुआ भू-धंसाव

रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में जमीन के भीतर जमा हुए 10.66 मिलीयन लीटर पानी के कारण बना हाइड्रोस्टेटिक दबाव था। जो कि जनवरी 2023 में जमीन के अंदर ही फूट पड़ा। ये पानी अपने साथ भीतर की मिट्टी को भी बहाकर ले आया। जिस से जमीन का खोखलापन बढ़ गया। रिपोर्ट के मुताबिक पहाड़ में खोखलापन पैदा होने लगा जिस से लोगों के घर धंसने लगे और घरों में कई मीटर चौड़ी दरारें भी दिखने लगी।

जोशीमठ आपदा का कनेक्शन रैणी आपदा से

एनएचआई कीवैज्ञानिक रिपोर्ट के मुताबिक जोशीमठ में भूस्खलन जनवरी 2023 के पहले सप्ताह के दौरान हुआ भूस्खलन की अन्य घटनाओं से अलग था। इसमें रात में जोशीमठ के बड़े हिस्से में अचानक भूस्खलन होते हुए देखा गय। जोशीमठ की जेपी कॉलोनी के बैडमिंटन कोर्ट के पास पानी का तेज बहाव बेहद ही खतरनाक था। आपदा के बाद जब राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इसकी जांच की तो रिपोर्ट में सामने आया है कि जोशीमठ की आपदा का कनेक्शन यहां अक्तूबर 2021 में आई रैणी आपदा से है।

साल 2021 में आई थी रैणी आपदा

आपको बता दें कि सात फरवरी 2021 में जोशीमठ विकासखंड के रैणी क्षेत्र में बाढ़ आई थी। ये आपदा कितनी भयानक थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें 204 लोगों की मौत हो गई थी। आपदा के एक साल बाद भी लोगों के शव टनल से बरामद किए गए थे। ग्लेशियर टूटने से आए मलबे के कारण तपोवन में 520 मेगावाट एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना के वैराज साइड में से तबाही मची थी। रैणी के पास ऋषि गंगा नदी पर बना ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।