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गरीबी से राजनीति के शिखर तक रमेश पोखरियाल “निशंक”

Reporter Khabar Uttarakhand
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haridwar sansad

haridwar sansadदेहरादून: डाॅ.रमेश पोखरियाल “निशंक”। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उनको बेहद महत्वपूर्ण एचआरडी मिनीस्ट्री यानि मानव संसाधन विकास मंत्रालय दिया गया है। हरिद्वार से दो बार लगातार सांसद चुने गए। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे। ये बातें सुनने और पढ़ने में आसान लगती हैं। लेकिन, इनके पीछे की कहानी उतनी ही संघर्षपूर्ण होती है। संघर्ष की कहानियां अक्सर कामयाबी के पीछे छिप जाती हैं। कुछ वैसी ही कहानी डाॅ.रमेश पोखरियाल “निशंक” की भी है। उन्होंने जीवन की हर कठिनाई को दूर खुद को निशंक यानि जिसे किसी प्रकार का डर या भय नहीं हो। शंकाओं से मुक्त, निडर और निधड़क।

निशंक का जीवन उतार-चढ़ावों के बीच गुजरा। उन्होंने गरीबी के दिन देखे। जीवन को पटरी पर लाने के लिए दिन-रात मेहनत की। संघ से जुड़े। पढ़ने में वो बचपन से ही होनहार थे। संघ के साथ जुड़ने के बाद शिशु मंदिर के आचार्य बन गए। चमोली जिले से उन्होंने शिशु मंदिर के आचार्य के रूप में अपना काम शुरू किया। उत्तरकाशी जिले के बड़कोट शिशु मंदिर में भी आचार्य रहे। उनको जितना पैसा मिलता था। उसी में अपना गुजर-बसर करते थे।

निशंक राजनीति में शुरू से ही रुचि रखते थे। सामाजिक कार्यों से लगातार जुड़े रहे। लोगों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहते थे। राज्य आंदोलन के लिए बनी उत्तराखंड राज्य संघर्ष समिति के निशंक 80 के दशक में प्रवक्ता बनाए गए। इसके बाद जब राजनीति में कदम रखा तो पीछे मुड़कर नहीं देखा, बढ़ते ही चले गए और राज्य के मुख्यमंत्री बनने तक का सफर तय किया। अब केंद्रीय मंत्री भी बन गए हैं।

डाॅ. रमेश पोखरियाल निशंक 1991 ने पहली बार कर्णप्रयाग विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। निशंक ने इस सीट पर 1993 और 1996 में भी जीत हासिल की थी। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में पांच बार विधायक बने। 2009 में मुख्यमंत्री बनें और अब केंद्रीय मंत्री बन गए हैं। उनकी ये कहानी जितनी सरल लगी। दरअसल, इसके पीछे उससे कहीं अधिक संघर्ष है। सीमांत वार्ता जैसे अखबार को उन्होंने छोटे से अखबार से बड़ा बनाया। पत्रकारिता में भी अलग मुकाम हासिल किया। साहित्य के क्षेत्र में दुनियाभर में उनका नाम है। अब तक कई किताबें लिख चुके हैं। ये सब इतनी आसानी से हासिल नहीं होता।

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