Big News : तो क्या देहरादून नगर निगम के TSR ओपन जिम निर्माण में हो गया 50 लाख का खेल! - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

तो क्या देहरादून नगर निगम के TSR ओपन जिम निर्माण में हो गया 50 लाख का खेल!

Reporter Khabar Uttarakhand
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nagar nigam dehradun

देहरादून। जी, शीर्षक में लिखा सवाल इस लिए उठ रहा है क्योंकि जिस ओपन जिम का राजधानी के गांधी पार्क में उद्घाटन मुख्यमंत्री के हाथों से कराया गया है वो किसने लगाया, कितने का लगाया, कब लगाया, नगर निगम ने इसके लिए निर्धारित प्रक्रिया को फॉलो किया या नहीं ये एक रहस्य बना हुआ है।

अब पूरी कहानी सुनिए 

दरअसल 18 नवंबर के शुभ दिन राजधानी देहरादून के गांधी पार्क में एक ओपन जिम का उद्घाटन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। इस जिम में खुद सीएम त्रिवेंद्र ने कसरत भी की। कसरत राज्य में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए भी हो रही है। लेकिन नगर निगम के ओपन जिम में कसरत का असर लगता है उलटा हुआ है। इस जिम के उद्घाटन के मौके पर मेयर सुनील उनियाल गामा ने ऑन कैमरा जो बयान दिया उसके मुताबिक इस जिम की लागत तकरीबन पचास लाख रुपए है।

मेयर को पता लेकिन एमएनए को नहीं, कुछ तो है!

जिम के निर्माण में पचास लाख का खेल होने की बात क्यों उठी? इसकी वजह साफ है और वो है देहरादून के मेयर और एमएनए यानी मुख्य नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय के बयानों में फर्क। दरअसल मेयर साहब कह रहें हैं कि जिम के निर्माण में पचास लाख का खर्च आया लेकिन नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय जिम के निर्माण को लेकर किसी धनराशि का जिक्र नहीं कर रहें हैं। न कोई फिगर बता रहें हैं। विनय शंकर पांडेय का ये बयान भी हमारे पास है। विनय शंकर स्पष्ट कह रहें हैं कि ये एक पायलट प्रोजेक्ट था। उलटा तो विनय शंकर पांडेय ये कह रहें हैं कि इस प्रोजेक्ट में नगर निगम का एक भी रुपया नहीं लगा है। विनय शंकर की माने तो ये प्रोजेक्ट सफल रहा तो नगर निगम के सभी 100 वार्डों में ऐसे ही ओपन जिम बनाए जाएंगे और उनमें नगर निगम धन खर्च करेगा।

सवाल उठ रहें हैं, जवाब कौन देगा? 

अब जब एक ही प्रोजेक्ट को लेकर जिम्मेदार पदों पर बैठे दो लोगों के बयान अलग अलग हैं तो सवाल तो उठेंगे ही। मेयर साहब को अगर पचास लाख के खर्च की जानकारी है तो ये भी पता होगा कि ये खर्च किन किन मदों में किए गए। क्योंकि कसरत के लिए लगाई गईं मशीनों को देख कर नहीं लगता कि इनकी लागत पचास लाख रुपए होगी। फिर इस खर्च से पहले टेंडर हुआ या नहीं इसकी जानकारी भी किसी को नहीं है। किस कंपनी को काम दिया गया इसकी जानकारी भी सार्वजनिक नहीं की गई है। सवाल इस लिए भी उठ रहा है कि मेयर साहब को पचास लाख खर्च होने की जानकारी किसने दी? फिर ये जानकारी नगर आयुक्त तक क्यों नहीं पहुंची? अगर पहुंची तो वो इसे साझा क्यों नहीं करना चाहते?

दोनों के वीडियो बयान ये रहे –

 

 

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