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IMPCL के निजीकरण का विरोध शुरू, कंपनी को निजी हाथों में देने को लेकर प्रदेश में गरमाई सियासत

Yogita Bisht
3 Min Read
IMPCL का निजिकरण का विरोध

उत्तराखंड के अल्मोड़ा के मोहान में इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IMPCL) को 1978 में केंद्र और यूपी ने मिलकर स्थापित किया था। लेकिन अब इसके निजीकरण की बात चल रही है जिसको लेकर अब विरोध शुरु हो चुका है। यहां काम करने वालों के साथ ही अब कांग्रेस भी इसका जमकर विरोध कर रही है। इसी के साथ अब इस मामले में सियासत गरमा गई है।

IMPCL के निजीकरण का विरोध शुरू

आईएमपीसीएल भारत सरकार का आयुर्वेदिक और यूनानी दवाईयों के निर्माण का एक मात्र संस्थान है। अब IMPCL को निजी हाथों में दिए जाने की तैयारी की जा रही है। करोड़ों का मुनाफा कमाने वाली अल्मोड़ा के मोहान में इंडियन मेडिसिन्स फार्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड फैक्ट्री के निजीकरण की योजना बन रही है, जिसकी प्रकिया भी शुरू हो गई है।

जिसके चलते फैक्ट्री में 500 से ज़्यादा कर्मचारियों और किसानों के भविष्य पर खतरे के बादल मंडराने लगे है। जहां एक ओर कंपनी में काम करने वाले कार्मिक इसका विरोध कर रहे हैं। ते वहीं दूसरी ओर इस मामले को लेकर प्रदेश में अब सियासत गरमा गई है। कांग्रेस इसे निजि हाथों में देने का विरोध कर रही है।

मुनाफे वाली कंपनी को भी बेच रही सरकार

इस मामले को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने सोशल मीडिया में पोस्ट कर लिखा है कि ‘मुनाफे में चल रहे दवा कारखाने को बेचने की योजना, आयुर्वेद और आयुष को बढ़ावा देने के पाखंड की सच्चाई को उजागर कर रही है। देश की बेशकीमती संपत्तियां चुनिंदा मित्रों को सौंपकर उनकी तिजोरी भरने के अलावा इसका क्या मकसद हो सकता है ?

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कंपनी को निजी हाथों में देने को लेकर प्रदेश में गरमाई सियासत

इस मामले को लेकर कांग्रेस विरोध कर रही है और प्रदेश में अब सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि भाजपा का एक ही काम है कंपनियों को खुर्दबुर्द करने का और सरकार लगातार प्रमुख कंपनियों को बेच रही है। उन्होंने कहा कि सरकार बेशर्मी से चोरी पर उतारू हो गई है और मुनाफा करने वाली कंपनियों को बेच रही है। वहीं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत का कहना है कि अभी ये मामला उनके संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा मामला है तो वो केन्द्र सरकार से इसको लेकर बात करेंगे।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।