Big News : पत्थरबाजों को बाहरी बताकर अपने बयान में उलझी पुलिस, कोर्ट में पुलिस अधिकारियों के बयान ही बन गए जमानत का आधार - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

पत्थरबाजों को बाहरी बताकर अपने बयान में उलझी पुलिस, कोर्ट में पुलिस अधिकारियों के बयान ही बन गए जमानत का आधार

Yogita Bisht
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देरहादून पुलिस लाठीचार्ज मामले में अपने ही बयान में उलझ गई है। पत्थरबाजों को बाहरी बताकर पुलिस अपने ही बयान में उलझ गई। पुलिस अधिकारियों का यही बयान कोर्ट में बेरोजगार संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार और अन्य के जमानत का आधार बन गए।

पत्थरबाजों को बाहरी बताकर अपने बयान में उलझी पुलिस

पत्थरबाजों को बाहरी बताकर पुलिस अपने ही बयान में पुलिस उलझ गई। बुधवार को जब कोर्ट में पुलिस ने गिरफ्तार किए गए  आरोपियों की जमानत का विरोध किया। तो बचाव पक्ष ने मजबूत तर्क रखा कि जब पथराव और उपद्रव में पुलिस बाहरी लोगों का हाथ बता रही है तो फिर बेवजह क्यों इन 13 युवाओं को जेल में रखा जा रहा है।

बचाव पक्ष के तर्क को कोर्ट ने माना जमानत का बड़ा आधार

कोर्ट ने बचाव पक्ष के इस तर्क जिसमें उन्होंने कहा है कि जब पथराव और उपद्रव में पुलिस बाहरी लोगों का हाथ बता रही है तो फिर बेवजह क्यों इन 13 युवाओं को जेल में रखा जा रहा है, उसे जमानत का बड़ा आधार माना है। आपको बतो दें कि पथराव और उपद्रव के पुलिस कप्तान ने बयान जारी कर कहा था कि इसमें युवाओं का हाथ नहीं है।

इसके साथ ही पुलिस कप्तान ने कहा था कि धरने में बाहर से कुछ असामाजिक तत्व शामिल हो गए थे। उन्होंने युवाओं के बीच से पथराव किया है। इस पथराव में पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं।

पुलिस कप्तान के इस बयान को बचाव पक्ष ने कोर्ट के सामने रखा। बचाव पक्ष ने कोर्ट को बताया कि पुलिस पथराव करने वालों को चिन्हित कर रही है। इनमें से कोई भी बॉबी और जेल में बंद उनका साथी नहीं है। पुलिस खुद मान रही है कि पथराव बाहरी तत्वों ने किया है। तो इन 13 को जेल में बंद रखने का कोई औचित्य नहीं है।

जमानत के विरोध में पुलिस ने प्रस्तुत किया पांच युवाओं के खिलाफ दर्ज मुकदमों का ब्योरा

पुलिस ने जमानत का विरोध करने के लिए पांच युवाओं के खिलाफ दर्ज मुकदमों का ब्योरा भी प्रस्तुत किया। अभियोजन की ओर से कहा गया कि इन सबका आपराधिक इतिहास है। ऐसे में इनका बाहर आना कानून व्यवस्था के लिए खतरा हो सकता है।

पुलिस की ओर से प्रस्तुत की गई जानकारी में बॉबी पर चार, शुभम नेगी पर तीन, नितिन दत्त पर दो, राम कंडवाल पर दो और मोहन कैंथुला पर दो मुकदमों की जानकारी रखी गई। जिस पर कोर्ट ने माना कि इन मुदकमों में कोई भी आरोपी जेल नहीं गया है। ऐसे में सिर्फ मुकदमे दर्ज होना जमानत रद्द करने का आधार नहीं है।

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योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।