Big News : दिल्ली के साथ देहरादून की हवा में घुला जहर, इतने गुणा ज्यादा प्रदूषण, हो सकती हैं गंभीर बीमारियां - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

दिल्ली के साथ देहरादून की हवा में घुला जहर, इतने गुणा ज्यादा प्रदूषण, हो सकती हैं गंभीर बीमारियां

Reporter Khabar Uttarakhand
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Dehradun breakin news

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देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर इस लेवल पर आ गया है कि सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा। सोमवार से स्कूल एक हफ्ते के लिए बंद कर दिए गए हैं। साथ ही सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने का फैसला लिया गया है। इसी के साथ प्राइवेट कंपनियों के लिए भी एडवाइजरी जारी की गई है। लेकिन बता दें कि हालात देहरादून में भी ठीक नहीं हैं। दिवाली के 9 दिन बाद भी वायु प्रदूषण अधिकर लेवल पर है इसमे कोई सुधार नहीं हुआ है।

आपको बता दें कि दीवाली के बाद से वायु प्रदूषण और एयर क्वालिटी इंडेक्स में उछाल आया था तो की अभी भी जस के तस बना हुआ है। देहरादून में अगर ऐसे ही हालात रहे तो सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। डॉक्टरों का कहना है कि हवा में मौजूद यह खतरनाक तत्व नुकसान पहुंचा सकते हैं। इससे सांस संबंधी बीमारी और फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। दिल्ली का असर उत्तराखंड में भी पड़ने का खतरा है जिससे लोगों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है.

आपको बता दें कि एयर पोल्यूशन एपीआई के अनुसार देहरादून में ओथ्री एक्यूआई 86 बना हुआ है, जो की ठीक है। वहीं पीएम 2.5 का एक्यूआई 449, सवेरे पीएम 10 का एक्यूआई 425 बना हुआ है, जो बेहद खतरनाक स्तर पर है। इसके अलावा हवा में 65 फीसदी नमी भी बनी हुई है। केवल ओ थ्री एक्यूआई के स्तर में ही संतोषजनक कमी आई है।

इतने गुणा ज्यादा प्रदूषण

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार देहरादूनदून की हवा में जहर घुल रहा है जो की सांस लेने लायक नहीं है। हवा में पीएम 10 के लिए वार्षिक औसत स्तर 20 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर और 24 घंटे के लिए 50 माइक्रो प्रति घन मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए। पीसीबी के मानकों में यह 60 और 100 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए। जबकि दून में यह 6 से 7 गुना तक ज्यादा बना हुआ है।

धूल के महीने कण, पीएम 10 व पीएम 2.5 : आकार के आधार पर पीएम 10 और पीएम 2.5 को परिभाषित किया गया है। जिन कणों का आकार 10 माइक्रोमीटर या इससे कम होती है उसे पीएम 10 कहते हैं। जबकि 2.5 माइक्रोमीटर और इससे कम आकार के कण पीएम 2.5 कहलाते हैं। इनमें ज्यादा खतरनाक पीएम 2.5 होता है। यह सांस के सहारे फेफड़ों से होता हुआ खून में मिल जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सदस्य देशों से अब इससे से महीन कणों पीएम 1 का मानक तैयार करने को कह रहा है।

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