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उत्तराखंड: PM मोदी के दौरे से पहले केदारनाथ धाम में BJP नेताओं की नो-एंट्री, क्या अब फैसला लेगी सरकार!

Reporter Khabar Uttarakhand
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cm pushkar singh dhami

cm pushkar singh dhami

देहरादून: देवस्थानम बोर्ड भाजपा के लिए अब गले ही हड्डी बन गया है। बोर्ड बनाए जाने की घोषणा के बाद से ही लगातार तीर्थ पुरोहित विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। त्रिवेंद्र ने तीर्थ पुरोहितों की मांगों को खारिज कर दिया था। उनका कहना है कि यह एक्ट सबसे बेहतरीन एक्ट है और किसी के हकहकूकों को ठेस पहुंचाने वाला नहीं, बल्कि व्यवस्थाओं में सुधार लाने वाला एक्ट है।

देवस्थानम बोर्ड बनने के बाद से ही त्रिवेंद्र को चारों धामों से लेकर अखाड़ों से जुड़े और अन्य संतों के विरोध का सामना करना पड़ा था। त्रिवेंद्र की हट उनकी कुर्सी पर भारी पड़ी। ऐसा माना जाता है कि त्रिवेंद्र किसी की सुनते नहीं थे। अपने मन की करते थे। यह कारण रहा कि उनकी ही पार्टी के नेता उनसे नाराज हो गए और भाजपा को सीएम बदलना पड़ा।

भाजपा ने गढ़वाल सांसद तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया। उन्होंने भी हरिद्वार कुंभ में देवस्थानम बोर्ड से मंदिरों को मुक्त करने का ऐलान कर दिया था। लेकिन, इससे पहले कि वो उस पर कुछ फैसला करते, अपने कुछ विवादित बयानों के कारण और दूसरे कारणों से उनको भी सीएम पद से हटा दिया गया।

तीसरे सीएम के रूप में पुष्कर सिंह धामी को सत्ता सौंपी गई। उनके सामने भी तीर्थ पुरोहितों का विरोध जारी रहा। अपने उत्तरकाशी दौरे के दौरान सीएम धामी ने ऐलान किया कि देवस्थानम बोर्ड पर समिति बनाई जाएगी। समिति बनी भी, लेकिन इस दौरान तीर्थ पुरोहितों से समिति के अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी से नाराजगी भी सामने आई। हालांकि, सीएम धामी ने तब कहा था सब ठीक हो जाएगा।

लेकिन, अब जो हुआ। उसने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है। 5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ धाम में दर्शन करने आ रहे हैं। उससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दर्शन करने केदारनाथ धाम जा रहे थे। पूर्व सीएम को धाम जाने से पहले तीर्थ पुरोहितों ने रोक लिया। उनको धर्म विरोधी करार देकर वापस लौटा दिया

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत भी केदारनाथ धाम जा रहे थे। उनको भी विरोध का सामना करना पड़ा। सवाल यह है कि क्या देवस्थानम बोर्ड भाजपा के लिए चुनाव में गले की हड्डी बनने वाला है? क्या इससे कांग्रेस को लाभ होगा या फिर भाजपा बोर्ड को भंग कर देगी?

एक और सवाल यह है कि 5 नवंबर को पीएम मोदी के दौरे से पहले शुरू हुए आंदोलन से इस पूर्र आयोजन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। एक तरफ जहां पीएम मोदी केदारनाथ धाम में दर्शन कर रहे होंगे। वहीं, दूसरी और धाम की सीमाओं पर तीर्थ पुरोहित भाजपा नेताओं का विरोध कर रहे होंगे।

अब देखना होगा भाजपा इससे कैसे निपटती है और कांग्रेस इसका कितना लाभ उठा सकती है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र पहले ही तीर्थ पुरोहितों को कांग्रेसी करार दे चुके हैं। यही कारण है कि सबसे ज्यादा विरोध उन्हीं को झेलना पड़ रहा है। तीर्थ पुरोहितों के इस आंदोलन में आम आदमी पार्टी भी आंदोलन का ऐलान कर चुकी है।

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