Big News : अब उत्तराखंड में महिलाएं बोलेंगी अहम क्षेत्रम गच्छामी, तत्र तृणम गृहणामी, जानिए इसके पीछे की वजह - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

अब उत्तराखंड में महिलाएं बोलेंगी अहम क्षेत्रम गच्छामी, तत्र तृणम गृहणामी, जानिए इसके पीछे की वजह

Yogita Bisht
4 Min Read
घास ले जाती महिलाएं UTTRAKHAND

अब उत्तराखंड में गांवों में महिलाएं अहम क्षेत्रम गच्छामी, तत्र तृणम गृहणामी बोलेंगी। ये सुनकर आप भी चौंक गए होंगे। लेकिन ये सच है कि अब प्रदेश के गांवों में महिलाएं संस्कृत में बात करेंगी। सिर्फ महिलाएं ही नहीं गांव में हर कोई संस्कृत में आपस में बात करेगें। प्रदेश के सिर्फ एक नहीं ब्लकि 13 जिलों के 13 गांवों में संस्कृत में लोग आपस में ऐसे ही बात करेंगे।

उत्तराखंड के गांवों में इसलिए संस्कृत में बात करेंगी महिलाएं

प्रदेश के गावों में महिलाएं अहम क्षेत्रम गच्छामी, तत्र तृणम गृहणामी ऐसे ही संस्कृत भाषा में बोलकर आपस में बात करेंगी। ये सुनकर आप भी सोच में तो पड़ ही गए होंगे। लेकिन ये बात सही है। इसके पीछे की वजह ये है कि सरकार प्रदेश के 13 जिलों में 13 आर्दश संस्कृत ग्राम बनाने जा रही है।

जिसके तहत गांव में सभी संस्कृत में बात करेंगे। इसमें सिर्फ महिलाओं को ही नहीं ब्लकि बुजुर्गों और बच्चों को भी संस्कृत सिखाई जाएगी। प्रदेश के संस्कृत निदेशालय ने राज्य के 13 जिलों में 13 आदर्श संस्कृत ग्राम बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके तहत 13 गांवों में लोगों को संस्कृत बोलनी सिखाई जाएगी।

प्रदेश के 13 गांवों में लोग संस्कृत में करेंगे बात

उत्तराखंड के 13 जिलों में 13 आदर्श संस्कृत ग्राम बनाने का संस्कृत निदेशालय ने लक्ष्य रखा है। इसी के तहत चमोली जिले के डिम्मर गांव को आदर्श संस्कृत ग्राम के रूप में चयनित किया गया है।

इस गांव में सभी को संस्कृत सिखाई जाएगी। इसके तहत गांव में एक संस्कृत प्रशिक्षित व्यक्ति का चयन किया जाएगा। जो सभी गाव वालों को संस्कृत भाषा बोलना सिखाएगा। इसके लिए उसे 12000 रुपये प्रतिमाह मानदेय भी दिया जाएगा।

चमोली से डिम्मर गांव का हुआ चयन

डिम्मर गांव कर्णप्रयाग-सिमली मोटर मार्ग पर कर्णप्रयाग से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस गाव में 500 परिवार रहते हैं। जिसमें से लगभग 250 ब्राह्मण, 150 राजपूत और 100 अनुसूचित जाति के परिवार रहते हैं।

 इस गांव के डिमरी ब्राह्मण बद्रीनाथ धाम में पूजा-अर्चना का जिम्मा संभालते हैं। इसके साथ ही वो माता मूर्ति से लेकर जोशीमठ नृसिंह मंदिर में भी पूजा का दायित्व भी संभालते हैं। डिम्मर गाव में धार्मिक कार्यक्रमों में अधिकाधिक संस्कृत का प्रयोग होता है। इसलिए इस योजना के तहत डिम्मर गांव का चयन किया गया है।

अब गांव के सभी वर्गों के लोगों को इस के तहत संस्कृत भाषा बोलना सिखाया जाएगा। साथ ही गांव में संस्कृत ग्राम शिक्षा समिति का गठन भी किया जाएगा। 

आदर्श संस्कृत ग्राम बनाना सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल

आदर्श संस्कृत ग्राम बनाना सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। इसी के तहत प्रदेश के 13 जिलों के 13 गांवों में सभी को संस्कृत बोलनी सिखाई जाएगी। सरकार के इसी ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहले डिम्मर गांव के सभी वर्गों के लोगों को संस्कृत भाषा बोलने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। ग्रामीणों को सरल रूप में संस्कृत सिखाई जाएगी।

Share This Article
Follow:
योगिता बिष्ट उत्तराखंड की युवा पत्रकार हैं और राजनीतिक और सामाजिक हलचलों पर पैनी नजर रखती हैंं। योगिता को डिजिटल मीडिया में कंटेंट क्रिएशन का खासा अनुभव है।