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उत्तराखंड: अब नहीं चलेगा अटैचमेंट का खेल, एक झटके में सब कैंसिल

Reporter Khabar Uttarakhand
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cabinet minister uttarakhand

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देहरादूनः विभिन्न विभागों में अटैचमेंट और प्रतिनियुक्ति का खेल खूब चलता रहा है, लेकिन कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी अटैचमेंट पद्धति के खिलाफ सख्त होते हुए नजर आ रहे हैं, जिसके चलते उन्होंने उद्यान विभाग में एक झटके में कई प्रतिनियुक्तियों को निरस्त कर दिया है। उत्तराखंड में सरकारें भले किसी की भी रही हो लेकिन सरकारों के नजदीक और चाहेते अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए पहाड़ में सेवा न देना पड़े।

इसके लिए अटैचमेंट या प्रतिनियुक्ति का खेल खेला जाता रहा है। लेकिन, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने उन अधिकारियों और कर्मचारियों के ख्वाबों पर पानी फेरने का काम कर दिया जो पहाड़ छोड़कर देहरादून में अटैचमेंट पाकर सेवाएं दे रहे थे। गणेश जोशी का कहना है कि जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी किसानों के बीच रहकर किसानों की समस्याओं के साथ उनके फसलों की पैदावार बढ़ाने की है, वह अधिकारी अटैचमेंट पाकर देहरादून में डटे हुए थे।

इसलिए उन्होंने सभी अटैचमेंट निरस्त करने के निर्देश दिए थे, जिसका आदेश भी उद्यान विभाग में जारी हो चुका है। गणेश जोशी का कहना है कि उनके काम करने का अलग है। इसलिए आगे भी किसी तरह की की कोई संभावना अटैचमेंट को लेकर नहीं होगी। उद्यान विभाग में प्रतिनियुक्ति पर तैनात अधिकारी कर्मचारियों को तत्काल मूल स्थान पर वापसी करने के आदेश दिए गए है। विभागीय मंत्री की समीक्षा बैठक में यह मुद्दा उठा।

जिसके बाद निदेशक ने 152 लोगों को वापस मूल तैनाती स्थल पर ज्वाइनिंग करने के निर्देश किए हैं। निदेशक उद्यान का कहना है कि किसी कर्मचारी की अगर वाकई में कोई परेशानी की वजह है तो वो सचिव उद्यान से बात करके निर्देश करवा सकता है। लेकिन, फिलहाल जितनी भी प्रतिनियुक्ति विभाग में थी, सभी को निरस्त किया गया है।

उद्यान विभाग में भले ही उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने अटैचमेंट पर चाबुक चलाने का काम किया है, लेकिन उत्तराखंड के कई ऐसे भी विभाग हैं, जिनमें अटैचमेंट का खेल अभी भी जारी है। जरूरत से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी देहरादून में निदेशालयों में तैनात हैं। ऐसे में देखना ये होगा कि क्या जिस तरीके से अटैचमेंट के खेल पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने चाबुक चलाया है, क्या अन्य मंत्री और खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उसी राह पर चलते हुए कोई फैसला लेंगे।

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