Nithari kand in hindi: एक बार फिर से निठारी कांड सभी की जुबान पर है। आइए समझते हैं कि क्या है 2006 का निठारी कांड जिसके बारे में जानकर पूरा देश स्तब्ध रह गया था।
निठारी कांड का आरोपी बरी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा के चर्चित निठारी कांड (Nithari kand) के आरोपी सुरेंद्र कोली को बरी कर दिया है। कई दिनों तक चली बहस के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था लेकिन सोमवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया है।
बता दें कि सुरेंद्र कोली को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। वहीं कोठी D-5 के मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रिजवी की अदालत ने यह फैसला सुनाया है।
मोनिंदर पंढेर की कोठी के पीछे मिले थे कंकाल (Nithari Kand Story)
Nithari kand story in hindi बता दें कि पुलिस ने निठारी में रहने वाले मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे नाले से बच्चों और महिलाओं के दर्जनों कंकाल बरामद किए थे। पुलिस ने मोनिंदर सिंह और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया था। पुलिस की विवेचना के बीच ही मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया। सीबीआई ने दोनों के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के कुल 16 मामले दर्ज किए थे।
जिनमें गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। जबकि मनिंदर सिंह पंढेर पर 6 मामले दर्ज किए और इनमें से 3 मामलों में कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। वहीं दो केस में वह पहले ही बरी हो चुका है।
क्या है 2006 का Nithari kand ?
बता दें कि यह मामला 12 नवंबर साल 2006 का है जब निठारी में रहने वाली एक युवती कोठी की सफाई के लिए घर से निकली थी, इसके बाद वापस घर नहीं लौटी। परिजनों ने उसकी तलाश की लेकिन बेटी नहीं मिली तो पुलिस से शिकायत की लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज नहीं की थी। जिसके बाद पुलिस को मनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे नाले में कई शव मिलने के बाद मामला सामने आया। जिसके बाद सुरेंद्र कोली पर आरोप लगा कि वह पंढेर कोठी का केयरटेकर था और लड़कियों को लालच देकर कोठी में लाता था। निठारी गांव की दर्जनों लड़कियों गायब हो गईं। वह उनसे दुष्कर्म कर हत्या कर देता था। लाश के टुकड़े कर बाहर फेंक आता था।
निठारी कांड (Nithari kand) में आरोपियों के साथ कब क्या हुआ
बता दें कि 13 फरवरी 2009 को विशेष अदालत ने पंढेर और कोली को 15 साल की किशोरी के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या का दोषी मानते हुए मौत की सजा सुनाई थी।
फिर 3 सितंबर 2014 को कोली के खिलाफ कोर्ट ने मौत का वारंट जारी किया।
4 सितंबर 2014 को कोली को डासना जेस से मेरठ जेल फांसी के लिए ट्रांसफर किया गया।
सितंबर 2014 से पहले सुरेंद्र कोली को फांसी दी नी थी। लेकिन फिर वकीलों के समूह डेथ पेनल्टी लिटिगेशन ग्रुप्स ने कोली को मृत्युदंड दिए जाने पर पुनर्विचार याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजा।
12 सितंबर 2014 को सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा पर अक्तूबर 29 तक के लिए रोक लगाई।
28 अक्टूबर 2014 को सुरेंद्र कोली की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका को खारिज किया। 2014 में राष्ट्रपति ने भी दया याचिका रद्द कर दी।
फिर 28 जनवरी 2015 को हत्या मामले में कोली की फांसी की सजा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील किया।
16 अक्टूबर 2023 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुरेंद्र कोली को दोषमुक्त कर दिया है।