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क्या अब मदरसे में नहीं पढ़ पाएंगे बच्चे?, NCPCR के पत्र से मची खलबली

Sakshi Chhamalwan
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मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश की है. इसके साथ ही एनसीपीसीआर ने केंद्र और राज्य सरकारों से मदरसों की फंडिंग को बंद कराने के लिए कहा है.

NCPCR ने लिखा सभी राज्यों के CS को पत्र

एनसीपीसीआर की अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पत्र में लिखा है कि मुस्लिम समुदाय के बच्चों को बेहतर तालीम के लिए सरकारी या निजी विद्यालय में एडमिशनन कराया जाए. उन्होंने कहा कि बच्चों के मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार के बीच विरोधाभासी तस्वीर बनाई गई है. केवल धार्मिक संस्थानों में जाने वाले बच्चों को RTE के तहत औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर रखा गया है.

मदरसा बोर्ड भंग करने की सिफारिश

अध्यक्ष ने कहा अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करते हैं. यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि बच्चों को औपचारिक शिक्षा मिले. केवल बोर्ड का गठन या यूडीआईएसई कोड लेने का मतलब यह नहीं है कि मदरसे RTI का पालन कर रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकारों से मदरसों की फंडिंग को बंद कराने के लिए कहा है. अध्यक्ष ने साफ़ कहा कि मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसे में पढ़ रहे है चाहे वो मान्यता प्राप्त ही क्यों ना हो. सभी को औपचारिक स्कूलों में भेजा जाए.

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Sakshi Chhamalwan उत्तराखंड में डिजिटल मीडिया से जुड़ीं युवा पत्रकार हैं। साक्षी टीवी मीडिया का भी अनुभव रखती हैं। मौजूदा वक्त में साक्षी खबरउत्तराखंड.कॉम के साथ जुड़ी हैं। साक्षी उत्तराखंड की राजनीतिक हलचल के साथ साथ, देश, दुनिया, और धर्म जैसी बीट पर काम करती हैं।