Navratri का त्योहार हिंदू धर्म में काफी खास माना जाता है। 9 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में माता रानी की आराधना की जाती है। लेकिन इसे साल में एक बार नहीं बल्कि 2 बार मनाया जाता है। इस समय शारदीय नवरात्रि चल रही है। इसके अलावा चैत्र नवरात्रि भी होती है। दोनों ही नवरात्रि एक साल के अंदर ही पड़ती है। आइये जानते हैं दोनों नवरात्रि का क्या है महत्व?
Navratri का महत्व क्या है?
हिंदू धर्म में मां दुर्गा को महाशक्ति का प्रतीक माना गया है। कहा जाता है कि 9 दिन तक सच्चे मन से अगर देवी मां की आराधना की जाती है तो भक्तों को लाभ मिलता है। लोग इन 9 दिन देवी मां के 9 अलग-अलग स्वरुपों की आराधना करते हैं और माता की कृपा उनपर बरसती है।
क्यों मनाते हैं शारदीय नवरात्रि?
आश्विन माह में शारदीय नवरात्रि मनाते हैं। हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। पौराणिक कथा की मानें तो आश्विन महीने में ही शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है। 9 दिन तक दैत्य महिषासुर से लड़ने के बाद दुर्गा मां ने दसवें दिन उनका वध कर दिया था। तभी से नवरात्रि और विजयादशमी मनाने की परंपरा चली आ रही है। आश्विन महीने मे ही शरद ऋतु की शुरुआत होती है इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।
क्यों मनाते हैं चैत्र नवरात्रि ?
वहीं चैत्र नवरात्रि की बात करें तो चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने जब महिषासुर से लड़ने के लिए अपने अंश से 9 रुप प्रकट किए तो देवी देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्ति का संचार किया। ये पूरी प्रक्रिया 9 दिनों तक चली। इसके बाद से ही नवरात्रि मनाने की परंपरा शुरु हो गई।
दोनों Navratri में क्या है फर्क?
बता दें कि चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में काफी फर्क है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हिंदू नववर्ष की शुरुआत को माना जाता है। वहीं शारदीय नवरात्रि मध्यकाल में मनाई जाती है। चैत्र नवरात्रि में मां शक्ति की साधरना करने का बहुत महत्व बताया गया है। वहीं शारदीय नवरात्रि में दुर्गा पूजा और उत्सव को खास महत्व दिया गया है. इसके अलावा चैत्र नवरात्रि की लोकप्रियता महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक में ज्यादा है वहीं शारदीय नवरात्रि की लोकप्रियता वेस्ट बंगाल और गुजरात की तरफ ज्यादा है।