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दिल्ली दंगे में मारे गए दिलबर नेगी के भाई से लाखोंं की ठगी, खुद को बताया सचिवालय में अधिकारी

Reporter Khabar Uttarakhand
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ayodhaya ram mandir

ayodhaya ram mandirपौड़ी गढ़वाल : दिल्ली दंगे में मारे गए थैलीसैंण निवसी 20 साल के दिलबर सिंह नेगी को उत्तराखंड में हर कोई जानता है कि कैसे क्रूरता से थलीसैंण विकासखंड के रोखड़ा गांव निवासी दिलबर नेगी को मौत के घाट उतारा गया था। दिलबर नेगी परिवार का इकलौता सहारा था जो की दिल्ली में नौकरी करता था। वहीं इसके बाद दिलबर नेगी के परिवार से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है। जानकारी मिली है कि दिलबर नेगी के भाई से नौकरी दिलाने के नाम पर 3.25 लाख रुपये की ठगी की गई है और आरोपी पूर्व प्रधान को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर  लिया है। एक ओर जहां दिलबर नेगी की हत्या होने के बाद सरकार और कई संगठनों द्वारा उसके परिवार की मदद की गई तो वहीं पूर्व प्रधान ने उसके भाई से ठगी की वो भी नौकरी दिलाने के नाम पर।

जानकारी मिली है कि पूर्व प्रधान ने खुद को सचिवालय का अधिकारी बताकर मृतक दिलबर के भाई को फोन था और उससे दो बैंक चेक लिए थे। चेक पर फर्जी हस्ताक्षर कर बैंक खाते से पैसे भी निकाले। मृतक दिलबर के बड़े भाई देवेंद्र ने बताया कि बीते मार्च में एक बीरेंद्र नाम के व्यक्ति ने उसे फोन कर बताया कि वह सचिवालय देहरादून से बोल रहे हैं औऱ उसे नौकरी देने के लिए मुझे उच्चाधिकारियों के निर्देश मिले हैं। देंवेद्र ने बताया कि एक शख्स ने उन्हें थलीसैंण के अंतर्गत आने वाले पैठाणी बाजार आने को कहा। साथ ही बैंक अकाउंट के दो चेक और अपने डॉक्यूमेंट्स लाने को कहा। कहे अनुसार नौकरी की लालच में दिलबर का बड़ा भाई कहे अनुसार बैंक चेक और दस्तावेज लेकर पहुंचा।

दिलबर के भाई ने पुलिस को बताया कि उसने चेक और दस्तावेज बीरेंद्र(कथित नाम) को दे दिए लेकिन, जून में एक बार फिर बीरेंद्र ने फोन कर बताया कि नौकरी के लिए प्रार्थना पत्र पिता के नाम से लिखा जाना है। इसलिए तुम अपने पिता के बैंक अकाउंट के चेक लेकर पौड़ी पहुंचो। जिसके बाद उसने पौड़ी आकर बीरेंद्र को प्रार्थना पत्र के साथ ही अपने पिता के नाम के बिना हस्ताक्षरों वाले दो चेक दे दिए। हालांकि एक चेक पर उसके पिता के हस्ताक्षर थे।

देवेंद्र ने पुलिस को बताया कि जब वह 30 जून को किसी काम के लिए श्रीनगर बैंक गए तो पता चला के उसके पिता के बैंक अकाउंट से 3.25 हजार रुपये निकाल लिए गए है ये सुन वो दंग रह गई क्योंकि उन्होने तो वो पैसे नहीं निकाले थे। बैंक से जानकारी लेने पर पता चला कि पैसे बीरेंद्र नाम के व्यक्ति के खाते में गए हैं। जिसके बाद उसने बीरेंद्र को पैसे वापस करने को कहा लेकिन वो उनको झांसा देता रहा है और थक हारकर आखिर कार बीते 30 जुलाई को देवेंद्र ने पैठाणी थाने में बीरेंद्र के खिलाफ तहरीर देकर एफआईआर दर्ज कराई।

मीडिया से मिली जानकारी तो बुना ठगी का जाल

पुलिस ने तलाश शुरु की और आरोपी बीरेंद्र को चमोली जिले में उसकी दीदी के गांव खेत (गैरसैंण) से गिरफ्तार किया। जानकारी मिली है कि आरोपी गैरसैंण के समीप ही सरणा गांव का पूर्व प्रधान है। उसने बताया कि उस पर कर्ज था और उसे मालूम था कि दिलबर मरने के बाद उसके परिवार वालों को आर्थिक राशि सरकार औऱ कई संगठनों द्वारा दी गई है। इसलिए उसने दिलबर के परिवार को निशाने पर लिया और घटना को अंजाम दिया।

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