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UPI लेनदेन होगा महंगा!, 3000 से ज्यादा के ट्रांजेक्शन पर लगेगा चार्ज, बदलाव की ये है वजह

Uma Kothari
3 Min Read
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अगर आप भी अक्सर 3000 रुपये से ज्यादा की UPI पेमेंट करते हैं तो ये खबर आपके लिए है। केंद्र सरकार अब यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी UPI को लेकर एक बड़ा फैसला लेने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो सरकार 3000 रुपये से ऊपर के लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) लागू करने का प्लान बना रही है।

अभी तक UPI पर Zero MDR पॉलिसी लागू है यानी व्यापारी से कोई चार्ज नहीं लिया जाता। लेकिन नए प्रस्ताव के तहत संभव है कि बड़े ट्रांजेक्शन पर बैंकों या पेमेंट कंपनियों को एक तय फीस मिले जिसे वो मर्चेंट(merchant fee) से वसूल सकें।

जल्द ही 3000 से ज्यादा की UPI ट्रांजेक्शन पर लग सकता है चार्ज

आसान भाषा में समझें तो MDR merchant fee वो फीस होती है जो बैंक या पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर द्वारा व्यापारियों से तब वसूला जाता है जब कोई ग्राहक व्यापारी को पेमेंट करता है।

एनडीटीवी प्रॉफिट की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों की मानें तो बीते हफ्ते प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) आर्थिक मामलों के विभाग और वित्तीय सेवा विभाग के बीच एक अहम बैठक हुई। जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा की गई। सरकार इस बात पर विचार कर रही है कि छोटे भुगतानों पर राहत बनी रहे लेकिन बड़े ट्रांजेक्शन पर कुछ शुल्क लिया जाए ताकि पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर को चलाने का खर्चा कवर हो सके।

क्यों उठाया जा रहा है ये कदम?

दरअसल UPI आज देश के डिजिटल ट्रांजेक्शन सिस्टम की रीढ़ बन चुका है। मई 2025 में ही UPI के ज़रिए 25.14 लाख करोड़ रुपए के ट्रांजेक्शन हुए। लेन-देन की संख्या 18.68 अरब रही जो पिछले साल के मुकाबले 33% ज्यादा है।

इतना बड़ा वॉल्यूम संभालने में बैंकों और पेमेंट सर्विस कंपनियों को काफी खर्च उठाना पड़ रहा है। फिलहाल Zero MDR पॉलिसी के कारण उन्हें कोई सीधा फायदा नहीं मिलता। यही वजह है कि इन कंपनियों और बैंकों की तरफ से लगातार यह मांग उठती रही है कि बड़े मर्चेंट्स पर कोई न कोई शुल्क लागू किया जाए।

PCI का प्रस्ताव और अगला कदम

पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने भी सरकार के सामने अपना प्रस्ताव रखा है। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने सुझाव दिया है कि जिन मर्चेंट्स का टर्नओवर ज़्यादा है उनके UPI ट्रांजेक्शन पर 0.3% MDR लगाया जाए। तुलना करें तो क्रेडिट और डेबिट कार्ड पर MDR 0.9% से 2% तक होता है। जबकि रूपे कार्ड पर कोई शुल्क नहीं है।

फिलहाल इस पर चर्चा जारी है और उम्मीद की जा रही है कि आने वाले एक से दो महीनों में इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा। सरकार सभी संबंधित पक्षों बैंक, NPCI और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स से बातचीत के बाद ही अंतिम फैसला करेगी।

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